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भाजपा के एजेंडे पर सपा ने भी ठोकी ताल, अब अयोध्या, काशी और मथुरा का भी रुख करेगी समाजवादी पार्टी

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नई दिल्ली, एजेंसी। समाजवादी पार्टी अगले कुछ दिनों में यूपी के धार्मिक और सियासी नजरिए से महत्वपूर्ण शहरों में अब अपने सियासी दांव लगाकर हिंदू वोटों में अपनी पकड़ बनाने की तैयारी कर रही है। लखीमपुर खीरी के बाद आज नैमिषारण्य से शुरू हुए समाजवादी पार्टी के जनसंपर्क अभियान की अगली कड़ी में अयोध्या, काशी और मथुरा भी जुड़ने वाले हैं। पार्टी के रणनीतिकारों के अनुसार जिस तरह से अखिलेश यादव ने नैमिषारण्य में हवन पूजन किया था, ठीक इसी तरह से अयोध्या में रामलला और काशी में विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के बाद भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में भी पूजन अर्चना के साथ ही सियासत की बात आगे बढ़ाएंगे।
समाजवादी पार्टी से जुड़े नेताओं का कहना है कि अगले कुछ दिनों में पार्टी की बैठकों और जनता से मिलने के कार्यक्रमों के तहत अखिलेश यादव अयोध्या, मथुरा और काशी भी पहुंचने वाले हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि आने वाले दिनों में उनकी पार्टी के सभी प्रमुख नेता उत्तर प्रदेश के प्रत्येक शहर और जिलों कस्बों तक में पहुंचेंगे। उनका कहना है कि धार्मिक शहरों के नाम पर भाजपा राजनीति करती है, जबकि समाजवादी पार्टी इस तरीके की राजनीति से दूर रहती है। समाजवादी पार्टी के नेताओं का मानना है कि धार्मिक नजरिए से जुड़े इन शहरों में जाकर समाजवादी पार्टी अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं से न सिर्फ मुलाकात करेगी, बल्कि आगे की रणनीति की तैयारी भी करेगी। पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि जिस तरह से उनकी पार्टी ने 90 दिनों के लिए एक बड़े जन अभियान की तैयारी की है, उसी के तहत इन सभी शहरों में जाकर पार्टी भारतीय जनता पार्टी के कामों की असलियत पब्लिक से भी बताएगी।
वहीं राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि समाजवादी पार्टी की ओर से लखीमपुर के बाद नैमिषारण्य में शुरू किए गए जन अभियान को सियासी नजरिए से तो खारिज किया ही नहीं जा सकता। राजनीतिक विश्लेषक ओम प्रकाश मिश्रा का मानना है कि समाजवादी पार्टी ने जिस तरीके से ऋषि-मुनियों की तपोस्थली नैमिषारण्य में पूजा अर्चना और हवन पूजन करके अपने आगे के सियासी रथ को आगे बढ़ाया है, उससे संकेत साफ है कि समाजवादी पार्टी, भाजपा के हिंदुत्ववादी एजेंडे को टेकओवर करने की तैयारी कर रही है। हालांकि मिश्रा का मानना है कि समाजवादी पार्टी इसमें कितनी सफल होती है, यह तो चुनावों के नतीजे बताएंगे। लेकिन पार्टी के रणनीतिकारों ने प्रयास कमोबेश उसी तरह किया है, जो भाजपा के एजेंडे का प्रमुख हिस्सा है। समाजवादी पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता भी मानते हैं कि बीते कुछ महीनों में जिस तरीके से पार्टी के ही कुछ बड़े नेताओं ने रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणियां कीं और पार्टी लाइन से हटकर सख्त एजेंडे को आगे बढ़ाना शुरू किया, उससे बहुत हद तक पार्टी के भीतर के ब्राह्मण नेताओं में नाराजगी रही।
सपा के रणनीतिकारों में शामिल एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पार्टी के प्रमुख नेताओं के बीच हुए मंथन में इस बात पर सहमति बनी थी कि उन्हें आने वाले चुनावों में किसी जाति विशेष धर्म को लेकर सख्त टिप्पणी करने की आवश्यकता नहीं है। इसे लेकर पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को ऐसी किसी भी टिप्पणी करने से बचने के लिए निर्देश भी जारी किए। पार्टी के एक नेता मानते हैं कि अगर कुछ महीनों के भीतर अखिलेश यादव सभी प्रमुख धार्मिक और सियासी शहरों में जाकर जनसभाएं और रैलियां करते हैं, तो निश्चित तौर पर उसका लाभ समाजवादी पार्टी को मिलेगा। राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला मानते हैं कि समाजवादी पार्टी के भीतर ब्राह्मण नेता अभी भी स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणियों से नाराज हैं। इसका विरोध भी हुआ और उसके बाद पार्टी ने इस पर अपनी लाइन स्पष्ट कर दी कि किसी भी तरीके के धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणियों से बचा जाए।
शुक्ला भी मानते हैं कि चुनाव से कुछ महीने पहले समाजवादी पार्टी की ओर से इस तरह की टिप्पणियों को प्रतिबंधित करने का कितना असर होगा, यह कहना अभी बहुत जल्दी है। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी समाजवादी पार्टी को उनके इसी विवादित बयानों पर घेरना शुरू किया था। वह कहते हैं कि ऐसे संवेदनशील मामलों को समाजवादी पार्टी ने समझा तो जरूर, लेकिन इसमें थोड़ा वक्त लगा। अब इसकी भरपाई काशी, मथुरा और नैमिषारण्य जाने से कितनी होगी या तो चुनावों के नतीजे बताएंगे।
समाजवादी पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी एक महीने के भीतर उत्तर प्रदेश के सभी लोगों से मिलने का दावा कर रही है। उनका कहना है कि समाजवादी पार्टी एक महीने में पूरे प्रदेश के लोगों से मिलकर तीन महीने का लक्ष्य रखा है। योजना के मुताबिक इस काम पर समाजवादी पार्टी एक जून से आगे बढ़ेगी। अगस्त तक पूरी रिपोर्ट समाजवादी पार्टी के मुख्यालय में सौंप दी जाएगी। पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता और रणनीतिकार बताते हैं कि तीन महीने के भीतर समाजवादी पार्टी को भारतीय जनता पार्टी के दावों की जो रिपोर्ट मिलेगी, उसके आधार पर ही समाजवादी पार्टी जनता के बीच जाकर सियासी माहौल बनाएगी। समाजवादी पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनावों में जनता से किए जाने वाले वादों का मेनिफेस्टो भी इसी आधार पर तय किए जाने की योजना बन रही है।

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