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तीस साल बाद कोटद्वार में स्वत: स्र्फूत बंद और चक्काजाम

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राज्य बनने से पहले रात्रि कोटद्वार-दिल्ली रेल सेवा, मोटर नगर, सीवर फार्म, कूड़ा निस्तारण व कंडी रोड को लेकर हुआ बाजार बंद
कोटद्वार बचाओ संघर्ष समिति ने किया था बंद और चक्काजाम का आह्वान
कोटद्वार, देवी मंदिर, निंबूचौड़, दुर्गापुर, किशनपुर, कलालघाटी व झंडीचौड़ बाजार व सरकारी/गैर सरकारी शिक्षण संस्थान रहे पूर्ण रूप से बंद
जीएमओयू, टैक्सी मैक्सी, ऑटो व ई-रिक्शा यूनियन ने स्वत: किया चक्काजाम
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : कोटद्वार क्षेत्र में राज्य बनने से पहले की सुविधाओं को राज्य बनने के बाद बंद किये जाने पर कोटद्वार की जनता का आक्रोश आज 20 सितंबर के सफल बंद और चक्काजाम के रूप में दिखाई दिया। कोटद्वार में अंग्रेजों द्वारा दी गई कंडी रोड, दिल्ली रात्रि रेल सेवा सहित मोटर नगर व सीवर फार्म को बर्बाद करने के विरोध व इन सेवाओं को पुन: बहाल करने के लिए कोटद्वार बचाओ संघर्ष समिति द्वारा आहूत बंद व चक्काजाम को कोटद्वार के व्यापारिक, शिक्षण संस्थाओं ने खुले मन से स्वत: बंद करने व निजी परिवहन द्वारा स्वत: चक्काजाम करने के फलस्वरूप उत्तराखण्ड आंदोलन के बाद पहली बार सम्पूर्ण बंद और चक्काजाम की मिशाल पेश की है।
कोटद्वार बचाओ संघर्ष समिति के आह्वान पर विभिन्न मांगों को लेकर कोटद्वार बाजार पूरी तरह बंद रहा। साथ ही यात्री वाहनों के पहिये भी पूरी तरह जाम रहे। वहीं क्षेत्र के अधिकांश विद्यालय भी बंद रहे। हालांकि एसडीएम ने जबरन बंद व चक्का जाम करने पर कानूनी कार्यवाही करने की चेतावनी दी थी, इसके बावजूद बंद का पूरा असर देखने को मिला। एआरएम रोडवेज राकेश कुमार ने बताया कि दिल्ली जाने वाली तीन बस सेवा फेल हो गयी। चक्का जाम की सूचना के कारण सवारियां भी कम ही थी।


बुधवार को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार समिति से जुड़े लोग बाजार पहुंच गए थे। इस दौरान कुछ खुली दुकानों को विनम्रता पूर्वक बंद करा दिया। हालांकि आम सहमति से कुछ वाहनों को जाने भी दिया गया। लेकिन पांच बजे के बाद संचालित होने वाले वाहनों को रोक दिया गया। चक्का जाम को लेकर समिति के सदस्यों और रोडवेज कर्मियों के बीच हल्की नोंकझोंक भी हुई, जिस पर आंदोलनकारी रोडवेज कार्यशाला के बाहर धरने पर बैठ गए जिससे बसों का संचालन नहीं हो सका। बंद व चक्काजाम के कारण यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। उसके बाद समिति के सदस्यों ने 11 बजे मौन जुलूस निकाल कर जनहित में उठाई गई मांगों को पूरा करने की बात कही। कहा कि मांगे पूरी न होने तक लड़ाई जारी रहेगी। इस मौके पर समिति संयोजक नागेंद्र उनियाल, गोविंद डंडरियाल, मुन्नालाल मिश्रा, प्रवेश नवानी, अवधेश अग्रवाल, सीपी नैथानी, शक्तिशैल कपरवाण, विकास आर्य, राजेन्द्र नेगी, अतुल भट्ट, धीरज बछवाण, राकेश अग्रवाल, गोपाल कृष्ण बड़थ्वाल, सीपी डोबरियाल आदि मौजूद रहे।


राज्य स्थापना दिवस पर संघर्ष समिति करेगी श्वेत पत्र जारी
कोटद्वार : कोटद्वार बचाओ संघर्ष समिति के आह्वान पर कोटद्वार नगर के वरिष्ठ नागरिकों का एक मौन जुलूस स्थानीय हिंदू पंचायती धर्मशाला से तहसील पहुंचा। जहां वहां एक जनसभा में प्रवर्तित हो गया। जन समूह को संबोधित करते हुए कोटद्वार बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक नागेन्द्र उनियाल ने आगे की रणनीति का खुलासा करते हुए कहा कि यदि सरकार द्वारा राज्य स्थापना दिवस आगामी 9 नवंबर से पहले कोटद्वार से छीनी गई जनसुविधाओं को बहाल नहीं किया तो उस दिन कोटद्वार की छीनी गई सुविधाओं के लिए दूसरी सरकार और राजनेताओं के बारे में श्वेत पत्र जारी किया जाएगा।

अब जिला और मेडिकल कॉलेज की लड़ी जाएगी लड़ाई

कोटद्वार : कोटद्वार बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक नागेन्द्र उनियाल ने कहा कि समिति का अगला आंदोलन कोटद्वार जिले और मेडिकल कॉलेज को लेकर शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम मेडिकल कॉलेज और जिले की मांग नहीं कर रहे है अपितु उत्तराखण्ड सरकार के दो मुख्यमंत्रियों की दो घोषणाओं कोटद्वार जिला और मेडिकल कॉलेज को धरातल पर उतारने की मांग करेगें। उन्होंने कहा कि कोटद्वार जिले की घोषणा 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने विधानसभा में की थी, जबकि कोटद्वार मेडिकल कॉलेज की घोषणा 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने एक जनसभा में की थी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की घोषणा शासनादेश होती है और हम इन शासनादेशों को क्रियान्वित कराने के लिए संघर्ष करेगें।


पूर्व मंत्री ने बंद का किया समर्थन
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने कोटद्वार बचाओ संघर्ष समिति द्वारा आहूत कोटद्वार बंद का समर्थन किया है। यहां जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि यह समिति द्वारा समाज हित में लिया गया निर्णय है। कोटद्वार में मेडिकल कालेज निर्माण रोका जाना, कण्वाश्रम के विकास के लिए पूर्व में स्वीकृत बजट पर रोक लगाना, केंद्रीय विद्यालय की स्थापना न हो पाना और सरकार की गलत खनन नीति के कारण कोटद्वार में नदियों पर बने पुलों का टूट जाना यह दर्शाता है कि कोटद्वार को विकास कार्यों में पीछे धकेलने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार से कोटद्वार विधान सभा के लिए पूर्व में स्वीकृत योजनाओं पर कार्य करने की अपील भी की।
पूर्व मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी ने कहा कि हर नागरिक का अधिकार भी है कि जब क्षेत्र की उपेक्षा चरम पर हो तो सामाजिक सरोकारों से जुड़े मनीषियों को जनता के हित में एवं उनके अधिकारों की प्राप्ति के लिए आगे आना पड़ता है। कोटद्वार जिसमें प्रगति की असीम संभावनाएं हैं जिसके माध्यम से कोटद्वार ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण जनपद पौड़ी व गढ़वाल के लोगों को लाभान्वित करने की क्षमता है। कोटद्वार की हो रही दूर्दशा व बर्बादी को देख कर कोई भी नागरिक कैसे खामोश रह सकता है। पूर्व मंत्री ने कोटद्वार के सम्मानित, प्रबुद्ध एवं जागरूक लोगों का अभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने कोटद्वार को बचाने व कोटद्वार के वैभव को लौटाने के लिए यह साहसिक कदम उठाया है और शासन-प्रशासन को इस मुहिम से चेताने का भी प्रयास किया।

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