बिग ब्रेकिंग

केंद्र सरकार का मेगा प्लान तैयार, पीएसपी से बनाई जाएगी 47 हजार मेगावाट बिजली, योजना पर काम कर रहा मंत्रालय

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नई दिल्ली, एजेंसी। स्टोरेज सिस्टम से बिजली बनाना भारत के लिए तो नई विधा है, लेकिन केंद्र सरकार इसको लेकर काफी उत्साह में है। वजह यह है कि इसकी लागत कम आती है। इससे पर्यावरण को कोई बड़ा नुकसान नहीं होता है और सबसे बड़ी बात जरूरत पड़ने पर इससे बिजली बनाकर कमी को बहुत ही कम से समय में पूरी किया जा सकत़ा है।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2029-30 तक देश में 33 पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट (पीएसपी) लगाकर इनसे 47 हजार मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य रखा है। पिछले दिनों ही केंद्र ने आंध्र प्रदेश में 1,350 मेगावाट क्षमता के अपर सिलेरू पीएसपी लगाने के प्रस्ताव को महज 70 दिनों में मंजूरी दी गई, जबकि निर्धारित समय 90 दिनों का है। आने वाले दिनों में बिजली मंत्रालय पीएसपी परियोजनाओं को सिर्फ 50 दिनों में पूरी मंजूरी देने पर काम कर रहा है।
इसी साल अप्रैल में केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने पीएसपी को विधिवत बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक विस्तृत कार्ययोजना को मंजूरी दी है। उसके बाद केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पीएसपी आधार पर लगने वाली बिजली परियोजनाओं को पर्यावरण पर असर पड़ने की समीक्षा रिपोर्ट तैयार करने से भी मुक्त कर दिया है।
पर्यावरण मंत्रालय का आकलन है कि इनसे पर्यावरण को कोई खास क्षति नहीं पहुंचती है, इसलिए अतिरिक्त समीक्षा रिपोर्ट तैयार करने की जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार इनको कर छूट भी दे रही है। सरकार की घोषणाओं का असर भी दिख रहा है। पिछले एक हफ्ते के भीतर देश में 8,700 मेगावाट क्षमता की पंप्ड स्टोरेज सिस्टम आधारित बिजली परियोजना लगाने का एलान हो चुका है। इसमें 7,350 मेगावाट क्षमता के संयंत्र सरकारी कंपनी एनएचपीसी महाराष्ट्र में लगाएगी। इसमें कुल 44,000 करोड़ रुपये का निवेश होने की संभावना है।
साथ ही आंध्र प्रदेश सरकार की कंपनी एपीजेनको के 1,350 मेगावाट के पीएसपी लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। बिजली मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि वर्ष 2030 तक देश में रिन्यूएबल एनर्जी से पांच लाख मेगावाट बिजली बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पीएसपी काफी महत्वपूर्ण होगा।
बिजली मंत्रालय का कहना है कि देश में 1.19 लाख मेगावाट क्षमता के 109 पीएसपी लगाए जा सकते हैं। क्या है पीएसपीपीएसपी या पंप्ड स्टोरेज सिस्टम पनबिजली का ही एक हिस्सा है। इसमें दो जलाशयों की जरूरत होती है। एक भौगोलिक तौर पर ऊपर स्थित होता है और दूसरा निचले हिस्से में। जब ग्रिड में अतिरिक्त बिजली होती है तब नीचे के जलाशय से पानी को ऊपर पहुंचाया जाता है और जरूरत पड़ने पर सामान्य पनबिजली परियोजना की तरह ऊपर से पानी नीचे की तरफ छोड़कर बिजली बनाई जाती है।

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