उत्तराखंड

खजूर के कांटों पर नंगे पैर चड़क संन्यासियों ने किया नृत्य

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रुद्रपुर। पश्चिम बंगाल में तारकेश्वर धाम में मनाए जाने वाली चड़क पूजा कि यहां भी धूम मची है। उधम सिंह नगर के बंगाली बाहुल्य क्षेत्र शक्ति फार्म के सुरेंद्रनगर के बाद दिनेशपुर में भी चड़क पूजा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। भगवा वस्त्र धारी संन्यासी एक माह तक व्रत रखकर भगवान शिव की आराधना करते हैं। यह व्रत चड़क पूजा के दिन तोड़ा जाता है।चड़क का शाब्दिक अर्थ धर्म अनुसार एक ऐसा चरखा बनाने से होता है। इसमें दो या दो से अधिक संन्यासी अपनी पीठ पर लोहे का कांटा चुभोकर और उसमें रस्सी से चरखे को बांधकर घुमाते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव को मानने वाले भोले भक्त बांग्ला चौत्र माह में पूजा करते हैं। चड़क पूजा में खजूर के पेड़ की भी पूजा करते हैं। बंगाली बाहुल्य क्षेत्र में चड़क पूजा के लिए खासा उत्साह है। हिंदू धर्म के अनुसार चड़क पूजा सबसे कठिन व्रत है। इसके लिए पूरे चौत्र माह भगवा वस्त्र धारी संन्यासी अपनी समस्त सुख सुविधाएं त्यागकर नंगे पैर रहकर दिन भर भिक्षा मांगते हैं। चड़क पूजा के व्रत के दौरान संन्यासी रात को जमीन पर सोते हैं। आज शनिवार चौत्र माह समाप्त हो जाएगा। नगर के वार्ड नंबर 3 जफरपुर मार्ग पर चड़क पूजा का भव्य आयोजन किया गया है। मुख्य पुरोहित के अनुसार टीम में 16 सदस्य का एक समूह बनाया गया है, जिसमें नील संन्यासी एक शिव एक पार्वती एक नंदी, एक भृंगी तथा कुछ गायक और ढाकी वाद्य यन्त्र होते हैं। दिनेशपुर में शुक्रवार को संन्यासियों ने खजूर के पेड़ की पूजा कर नंगे पैर पेड़ पर चढ़कर खजूर के सारे कांटे तोड़ दिए। वहीं नीचे गिरे कांटों पर अन्य संन्यासियों ने नृत्य कर सबको हैरत में डाल दिया। शनिवार को चौत्र माह का अंतिम दिन है, जिसमें चड़क पूजा की जाएगी। इस मौके पर तमाम श्रद्घालु मौजूद रहे।

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