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दिल्ली हाईकोर्ट के अवमानना के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कहा- राजधानी को हर हाल में 700 मीट्रिक टन अक्सीजन दे केंद्र

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नई दिल्ली,एजेंसी। दिल्ली समेत तमाम राज्यों में अक्सीजन सप्लाई के मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा, आज आधी रात तक हुई सप्लाई की हम कल सुबह 10़30 बजे जानकारी लेंगे। सरकार हमें सप्लाई सुनिश्चित करने की योजना और व्यवस्था पर भी जानकारी दे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में कोविड वैश्विक महामारी बहुत गंभीर चरण में है और इसके साथ ही उसने केंद्र से पिछले तीन दिन में की गई अक्सीजन सप्लाई के बारे में विवरण मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, श्केंद्र और दिल्ली के अधिकारी अगले तीन दिन में मुंबई के अधिकारियों से बात करें और उनसे प्राप्त अनुभवों के आधार पर ये आवश्यक कदम उठाएं। हम सोमवार को होने वाली सुनवाई में यह भी देखेंगे कि क्या अक्सीजन की सप्लाई बेहतर बनाने के लिए निष्पक्ष एक्सपर्ट के नेतृत्व में किसी वैज्ञानिक अडिट की जरूरत है।श् बता दें कि दिल्ली में जारी अक्सीजन संकट मामले की लगातार सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट में चल रही थी लेकिन अब बुधवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
केंद्र सरकार के फर्मूले पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ये पूरा फर्मूला सिर्फ अनुमान पर है। हर राज्य में स्थिति अलग हो सकती है। हर जिले में अलग हो सकती है। राज्य अलग-अलग वक्त पर पीक कर रहे हैं। ऐसे में आप सिर्फ एक ही तरह से नहीं हिसाब लगा सकते हैं। दिल्ली में इस वक्त हालात काफी खराब हैं। आपको हमें बताना होगा कि 3, 4, 5 मई को आपने क्या किया। केंद्र का कहना है कि उन्होंने 3 मई को 433 एमटी, 4 मई को 585 एमटी अक्सीजन दिया है। सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने केंद्र से सवाल किया कि आपने दिल्ली को कितना अक्सीजन दिया है। उन्होंने यह भी पूछा कि केंद्र ने हाईकोर्ट में ये कैसे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली को 700 एमटी अक्सीजन सप्लाई का आदेश नहीं दिया। केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि अप्रैल से पहले अक्सीजन की डिमांड ज्यादा नहीं थी, लेकिन अब ये अचानक बढ़ी है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र की जिम्मेदारी है कि आदेश का पालन करे। नाकाम अफसरों को जेल में डालें या फिर अवमानना के लिए तैयार रहें, लेकिन इससे दिल्ली को अक्सीजन नहीं मिलेगी, वो काम करने से ही मिलेगी।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि केंद्र को हर सुबह, शाम और दोपहर को डाटा उपलब्ध कराना चाहिए। वर्चुअल कंट्रोल रूम का उपयोग होना चाहिए। किस अस्पताल को कितनी अक्सीजन मिल रही है, ये अस्पताल और लोगों सभी को पता होना चाहिए। जब दस तारीख को फिर से मामला सुनेंगे, तो राज्य सरकार की तैयारियों का जायजा लेंगे।
अक्सीजन संकट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में केंद्र सरकार ने कोर्ट में बताया कि दिल्ली की मांग अधिक है, उसके मुताबिक संसाधन की जरूरत है। अदालत में जस्टिस शाह ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह एक राष्ट्रीय आपदा है, अक्सीजन की कमी की वजह से लोगों की मौत हुई है। केंद्र अपनी ओर से कोशिश कर रहा है, लेकिन अभी किल्लत है ऐसे में अपना प्लान हमें बताइए।
केंद्र की ओर से सलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, श्मेरा सुझाव है कि एक कमिटी गठित हो, जिसमें निष्पक्ष विशेषज्ञों को शामिल किया जाए। साथ ही इसमें केंद्र और दिल्ली के कुछ अधिकारी भी हों। यह कमेटी अक्सीजन की सप्लाई में आ रही दिक्कतों व परेशानियों को तुरंत सुधारने की जरूरत संबंधित रिपोर्ट सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश करे।श्
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अधिकारियों को जेल में डालने से कुछ नहीं होगा, बल्कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जिंदगियां बचें। जस्टिस चंद्रचूड़ ने राजधानी दिल्ली में अक्सीजन की किल्लत पर सुझाव दिया कि वैज्ञानिक तरीके से इसके वितरण की व्यवस्था करें। मुंबई में बीएमसी ने कोरोना काल में बढ़िया काम किया है ऐसे में दिल्ली को कुछ सीखना चाहिए। मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, श्हम अधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई नहीं करने का इरादा रखते हैं, क्योंकि इस बात से हम अवगत हैं कि अधिकारी दिन रात काम कर रहे हैं। नोडल एजेंसी अधिकारी ने संक्रमित होते हुए भी कोर्ट को विस्तृत जानकारी दी थी। अधिकारियों को दंडित करने से कोई लाभ नहीं।श् कोर्ट ने शाम तक दिल्ली में अक्सीजन सप्लाई को बढ़ाने के लिए ब्यौरा देने को कहा। कोर्ट ने कहा, श्हमें शाम तक बताइए कि दिल्ली में सप्लाई कैसे बढ़ेगी।श्

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