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बोकारो जिले में एक ऐसा प्राचीन मंदिर है जहां 163 सालों से मां काली की पूजा होती है

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बोकारो। बोकारो इस्पात नगरी जो अपने आप में भी कई प्राचीन इतिहास को समेटे हुए हैं उसी में से एक ऐसा इतिहास जो प्राचीन काल से चल रही है और आज भी स्थापित है। जी हां बोकारो जिले में एक ऐसा मंदिर है जो 163 सालों से विराजमान है और इस मंदिर में भक्तो की आस्था जुड़ी हुई है आज भी इस मंदिर में भक्त श्रध्दा पूर्वक अपनी मनोकामना को लेकर दर्शन करने आते है। और माता का दर्शन कर लाभान्वित होते है। बता दें की जब बोकारो इस्पात का निमार्ण नही हुआ था तब इस नगर के मध्य में एक काफी बड़ा एक झील हुआ करता था और तब इस झील की भूमी में प्रतापपुर नामक एक गाँव हुआ करता था इसी गाँव में फागुगोप नामक एक ब्यक्ति रहा करता था जब फागुगोप का परिवार बडा हो गया तो वह दुन्दीबाग मौजा में जमीन की व्यवस्था कर फागुगोप वहा रहने लगा इस परिवार के सभी लोग माँ काली की पूजा अर्चना करते आ रहे थे क्योंकि माता काली इस परिवार की कुल देवी थी। जमींदारी प्रथा उस समय चल रही थी। एक बार की बात हैं की दुन्दीबाग गाँव में कोलरा नामक माहामारी का प्रकोप हुआ इस माहामारी की चपेट में इस गाँव के लोग प्रतिदिन मौत के मुंह में जाने लगे तो फागु गोप को कुल देवी काली माँ ने एक रात को सपने मे दर्शन देकर आदेश दिया की दुन्दीबाग गाँव के मध्य में मेरा भव्य मंदिर बनाओ तथा सामुहिक रूप से पूजा अर्चना करो तो अभी जो माहामारी आया है उसे मुक्ति मिल जायेगी। तदनुसार समस्त ग्रामवासियों ने मिल जुल कर बंगला तिथी सन् 1272 तथा अंग्रेजी सन् 1860 में इस मंदिर की स्थापना कर दी। स्थापना होते ही मौत की काली छाया जो कोलरा का प्रकोप था वह धीरे-धीरे खत्म हो गया तथा किसी की भी मौत नही हुई इस तरह पूरे दुन्दीबाग गाँव की रक्षा हो गयी। फागु गोप के मृत्यु के बाद उनका लडक़ा भीखु गोप और अनु गोप ने आम का बगीचा लगाकर मंदिर को सुंदरता प्रदान किया। उस समय पास के गाँव दुन्दीबाग काकवॉटॉड हरला, तिलावन्नी, जोलहाबाद, दुईला, भुचुन्डी, लकड़ाखन्दा आदि गाँव के लोग इस प्रचीन काली मंदिर में पुजा अर्चना करने आते रहते थे। सन् 1964 में भीखू गोप ने लाल बाबा को मंदिर का पुजारी बनाया। लाल बाबा उर्फ बैद्यनाथ तिवारी जो वर्तमान गोपाल गंज जिला के रहने वाले थे और ये हथुआ राज्य के पुजारी थे। उन्होंने लगभग 40 सालो तक मंदिर में माँ काली की पुजा अर्चना करते रहें। वर्तमान समय में लाल बाबा के पपोत्र पंडित बद्रीनाथ एवं गोप के वंशज फलहारी माता प्रभावती देवी के द्वारा धार्मिक कार्य किया जा रहा हैं। आज भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर इस मंदिर में आते हैं और मनोकामना पूरी होने पर अपनी क्षमता अनुसार लोगों को प्रसाद खिलाने का लंगर का आयोजन करते हैं। 3 दिन फलाहारी माता दुन्दीबाग के काली मंदिर में रहती है और दुख तकलीफ से आए हुए भक्तों को अड़हुल फूल से उसका निदान कर उपाय बताती है बता दे की फलहारी माता के द्वारा सिजुआ धाम में भी भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया है जिसमें चार दिन सिजुआ धाम में बैठ कर वहां आए हुए भक्तों के दुख तकलीफों का निदान करती है। प्राचीन काली मंदिर में माँ काली की प्रतिमा के साथ भगवान भोलेनाथ का मंदिर भी विराजमान है जिसकी रोज पूजा अर्चना की जाती है वही लाल बाबा के पपोत्र पंडित बद्रीनाथ के द्वारा मंदिर में हर रविवार को लंगर का आयोजन किया जाता है।

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