राशन कार्ड को लेकर गलत जानकारी कर रही लोगों को परेशान
-पात्र हो या अपात्र सभी को हो रही राशन कार्ड जमा करने की चिंता
-विभाग की ओर से सही ढंग से प्रचार-प्रसार होना बन रहा परेशानी का कारण
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : सरकार ने अपात्र को ना-पात्र को हां योजना तो चलाई है, लेकिन यह योजना लोगों का सिर का दर्द बन गई है। दरअसल, विभाग व सरकार योजना को लेकर जागरूकता अभियान ही नहीं चला रहे हैं। जिससे लोगों में भय का माहौल बन गया है और वह पात्र हों या अपात्र सभी अपना-अपना राशन कार्ड जमा करने को लेकर तहसील पहुंच रहे हैं। इसके अलावा लोगों में अब आक्रोश भी पनपने लगा है और कई संगठन भी सरकार व विभाग के इस रवैये के खिलाफ खड़े होने लगे हैं।
कुछ दिन पहले सरकार ने अपात्र को ना-पात्र को हां योजना शुरू की। जिसके तहत लोगों को चेतावनी दी जा रही है कि यदि वह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा या राज्य खाद्य योजना के मानकों के तहत नहीं आते हैं तो अपना राशन कार्ड जमा करा दें, अन्यथा उनके खिलाफ संबंधित धाराओं में वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने लोगों को कार्ड जमा कराने के लिए पहले 31 मई तक का समय दिया था, जिससे लोगों में अफरातफरी की स्थिति दिखने लगी थी। वहीं, सरकार व विभाग ने राशन कार्ड की पात्रता को लेकर भी सही से प्रचार-प्रसार नहीं किया, जिससे लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि वह कार्ड जमा करें या न करें। कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि सरकार अभी सभी कार्डों को जमा कर रही है और बाद में उन्हें फिर से नए कार्ड बनाकर दिए जाएंगे। बिना लोगों को योजना के बारे में ठीक से जानकारी दिए राशन कार्ड जमा करने की अंतिम तिथि घोषित करने से लोगों में आक्रोश बढ़ने लगा। जिसे देखते हुए अब सरकार ने यह तिथि 30 जून तक बढ़ा दी है। शिवराजपुर निवासी हरीश चंद्र का कहना है कि राशन कार्ड के नियमों को लेकर पूरी जानकारी नहीं दी जा रही है, जिससे लोग परेशान हो रहे हैं।
31 मई तक ढ़ाई हजार लोग जमा करा चुके हैं कार्ड
पूर्ति निरीक्षक करण क्षेत्री का कहना है कि कोटद्वार क्षेत्र के अंतर्गत करीब 36 हजार राशन कार्ड वितरित किए गए हैं। जिनमें से 31 मई तक ढ़ाई हजार परिवारों ने कार्ड वापस कर दिए हैं। सरकार ने कार्ड वापस करने की अंतिम तिथि बढ़ा दी है, लेकिन रोज काफी संख्या में लोग कार्ड वापस करने के लिए आ रहे हैं।
मैं अपना कार्ड जमा नहीं करूंगा, चाहे मेरे खिलाफ मुकदमा ही दर्ज क्यों न हो जाए
कांग्रेस प्रदेश सचिव प्रवेश रावत का कहना है कि सरकार व विभाग को राशन कार्ड की शर्तों को लेकर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। साथ ही घर-घर जाकर लोगों का सत्यापन करना चाहिए। सरकार के इस तुगलकी फरमान के कारण लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार लोगों को मुकदमे की धमकी देकर डरा रही है, जिससे पात्र हो या अपात्र सभी अपना कार्ड वापस कराने को दौड़ लगा रहे हैं। मैं अपना कार्ड जमा नहीं करूंगा, चाहे मेरे खिलाफ मुकदमा ही दर्ज क्यों न हो जाए।
राशन कार्ड धारक के संबंध में कर सकते हैं शिकायत : जिला पूर्ति अधिकारी
जिला पूर्ति अधिकारी केएस कोहली ने कहा कि अपात्र को ना-पात्र को हां अभियान के अन्तर्गत कार्ड वापस कराने की अन्तिम तिथि 30 जून 2022 तक की गई है। कहा कि अपात्र कार्ड धारक उक्त तिथि तक अपना कार्ड सम्बन्धित पूर्ति निरीक्षक/ग्राम पंचायत विकास अधिकारी/खंड विकास अधिकारी व जिला पूर्ति कार्यालय में जमा करवा सकते हैं। जिला पूर्ति अधिकारी ने कहा कि 30 जून 2022 के उपरान्त कोई राशनकार्ड धारक अपात्र पाया जाता है तो उसके विरुद्ध राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 व आवश्यक वस्तु अधिनियम की सुसंगत धाराओं के तहत वैधानिक कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि राशन कार्ड धारक के संबंध में साक्ष्य सहित अपनी सूचना/शिकायत दर्ज करवा सकते है। शिकायतकर्ता की पहचान गुप्त रखी जाएगी।
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यह हैं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (प्राथमिक परिवार/अन्त्योदय) के तहत पात्रता के मानक :-
-आदिम आदिवासी तथा सीमान्त क्षेत्रों में निवासरत आदिवासी परिवार।
-ऐसा परिवार जिसका संचालन मुखिया के तौर पर विधवा महिला या अकेली महिला करती हो और परिवार की कुल मासिक आय 15000 रुपये से कम हो।
-ऐसा परिवार जिसका मुखिया असाध्य रोगों (कुष्ठ, एचआईवी) से पीड़ित हो तथा परिवार की कुल मासिक आय 15000 रुपये से कम हो।
-ऐसा परिवार जिसका संचालन मुखिया के तौर पर दिव्यांग व्यक्ति करता हो तथा परिवार की कुल मासिक आय 15000 रुपये से कम हो।
-ऐसा परिवार जिसका संचालन मुखिया के तौर पर 60 वर्ष या इससे अधिक आयु वाला व्यक्ति कर रहा हो तथा परिवार की कुल मासिक आय 15000 रुपये से कम हो।
-ऐसा परिवार जिसके पास राजस्व अभिलेखों मे दर्ज सिंचित भूमि का कुल क्षेत्रफल 2 हैक्टेयर से कम हो अथवा 1 हैक्टेयर सिंचित तथा 2 हैक्टेयर असिंचित से कम हो कुल क्षेत्रफल 4 हैक्टेयर असिंचित भूमि से कम हो।
-ऐसा व्यक्ति जो रिक्शा चालक, कूली, मजदूर, कूड़ा बीनने वाला, मोची, लोहार, बढ़ई, ग्रामीण दस्तकार, घरों में काम करने वाले सेवक/सेविका /सफाई कर्मी का कार्य करत हो।
-ऐसा परिवार जो किसी अन्य किसान के अधीन उसकी भूमि पर खेत जोतता हो।
-शहरी क्षेत्रों में स्थापित मलिन बस्ती एवं झुग्गी झोपड़ी में निवासित ऐसी आबादी जो जारी शासनादेश की तिथि या उससे पहले उत्तराखण्ड राज्य में उस स्थान पर निवास करता हो।
-ऐसा परिवार जिसकी वार्षिक आय पर आयकर की देयता ना बनती हो।
-ऐसे सरकारी /गैस सरकारी कर्मचारी जिनकी मासिक आय 15000 रुपये से अधिक ना हो।
राज्य खाद्य योजना के लिए पात्रता
-ऐसे परिवार जिनकी वार्षिक आय पांच लाख रुपये से कम हो एवं आयकर दाता न हों।