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उद्घव गुट को मिला मशाल का निशान, चुनाव आयोग ने क्यों खारिज किया शिंदे गुट का त्रिशूल?

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मुंबई, एजेंसी। चुनाव आयोग ने उद्घव गुट को अंधेरी पूर्व सीट पर विधानसभा उपचुनाव के लिए मशाल का निशान दिया है। आयोग ने कहा कि कोई भी धार्मिक निशान चुनाव के लिए नहीं दिया जा सकता है। बता दें कि उद्घव गुट ने मशाल, त्रिशूल और उगता हुआ सूरज का विकल्प चुनाव आयोग के सामने रखा था। वहीं शिंदे गुट ने गदा, उगता हुआ सूरज और त्रिशूल का विकल्प दिया था जिन्हें खारिज कर दिया गया है।
उद्घव गुट को चुनाव आयोग ने पार्टी का नाम श्शिवसेना (उद्घव बालासाहेब ठाकरे)श् दिया है। वहीं ईसी ने शिंदे गुट के निशान के तीन विकल्पों को खारिज कर दिया है। हालांकि उपचुनाव के लिए शिंदे गुट की पार्टी का नाम श्बालासाहेबांची शिवसेनाश् होगा। चुनाव आयोग ने कहा है कि पार्टी के नाम को लेकर शिंदे गुट का जो पहली प्राथमिकता थी वही विरोधी गुट ने भी पहली प्राथमिकता में रखी थी। ऐसे में दोनों ही गुटों को वह नाम नहीं दिया जा रहा है।
उद्घव ठाकरे गुट के नेता भास्कर जाधव ने कहा कि हमें बड़ी जीत हासिल हुई है। उद्घव ठाकरे ने पार्टी का नाम श्शिवसेना, उद्घव बालासाहेब ठाकरेश् दिया है जो कि हमारी जीत है।
बता दें कि 3 नवंबर को होने वाला उपचुनाव शिंदे और ठाकरे गुट के लिए लिटमस टेस्ट साबित होने वाला है। यह सीट शिवसेना विधायक रिमेश लातके के निधन के बात खाली हुई थी। शिवसेना ने उनकी पत्नी रितुजा को यहां से टिकट दिया है। वहीं शिंदे गुट और भाजपा मुरजी पटेल को उतारने की योजना बना रहे हैं जो कि 2019 में चुनाव हार गए थे। शिंदे गुट और उद्घव गुट में पार्टी के निशान और नाम को लेकर कानूनी लड़ाई के बीच चुनाव आयोग ने पार्टी का नाम और निशान दोनों ही फ्रीज कर दिया था।

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