अधिकारियों के खाली कार्यालयों व वीरान आवासों के बोझ तले दम तोड़ता पौड़ी
-कभी गढ़वाल की शान रहा पौड़ी अब खो रहा है अस्तित्व
-यहां तैनात मंडल स्तर के अधिकारी बैठते हैं देहरादून
राजीव खत्री
पौड़ी। कभी गढ़वाल का सिरमोर रहा पौड़ी शहर अब अधिकारियों के वीरान आवासों व खाली कार्यालयों के बोझ तले दम तोड़ रहा है। पौड़ी में तैनात मंडलीय स्तार के अधिकारी देहरादून में जमे हुए हैं। सरकार भी इन अधिकारियों के समक्ष असहाय नजर आ रही है। यहीं नहीं अधिकारियों के पौड़ी में न बैठने पर सरकार हमेशा अधिकारियों के पक्ष में ही खड़ी रहती है।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने तो अधिकारियों के देहरादून बैठने का कारण पौड़ी में काम न होना बताया था। वहीं पुलिस महानिदेशक ने पौड़ी दौरे के दौरान कहा था कि डीआईजी माह में तीन दिन पौड़ी बैठेंगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। वर्ष 1969 में पौड़ी को गढ़वाल मंडल का मुख्यालय बनाया गया था। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल बी गोपाल रेड्डी ने इस संंबंध में आदेश जारी किए थे। गढ़वाल मंडल मुख्यालय होने से पूरे गढ़वाल में इस शहर का अलग ही रुतबा था। जो कि वर्षों तक चलता रहा। गढ़वाल आयुक्त, डीआईजी सहित अन्य विभागों के मंडल स्तर के अधिकारी यहां अपने कार्यालयों में बैठते थे। पूरे मंडल से अधिकारियों व अन्य लोगों का यहां आना जाना लगा रहता था। जिससे शहर में हर समय रौनक बनी रहती थी। लेकिन उत्तराखंड राज्य बनने के बाद इस शहर की रौनक धीरे-धीरे गायब होने लगी। यहां के मंडलीय स्तर के अधिकारी देहरादून जाकर बैठने लगे। अब स्थिति यह है कि पौड़ी में न तो गढ़वाल मंडल के आयुक्त बैठते हैं और न ही डीआईजी। इतना ही नहीं कई अन्य विभागों के मंडलीय अधिकारी भी देहरादून में ही कुडली जमाए बैठे हैं। पौड़ी मंडल के अपर आयुक्त का दायित्व एक वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी को दिया गया है, लेकिन वह भी अक्सर पौड़ी से बाहर रहते हैं। लेकिन सरकार यहां अधिकारियों को बैठाने के बजाय उनके देहरादून बैठने के पक्ष में ही दिखती रही है। सरकार की उपेक्षा के चलते उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड को मुख्यमंत्री देने वाला पौड़ी अब अधिकारियों के खाली कार्यालयों व वीरान आवासों के बोझ तले दम तोड़ने को मजबूर है।
अधिकारी रहते नहीं खाली आवासों की हो रही चौकीदारी
पौड़ी में आयुक्त व डीआईजी के खाली आवासों की रखवाली में पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।अधिकारियों के यहां न रहने से सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों को अीजबो गरीब विभागीय आदेशों से भी दो-चार होना पड़ रहा है। अभी कुछ दिन पूर्व डीआईजी आवास पर तैनात पुलिस कमियों को सेब के पेड़ की निगरानी का आदेश जाारी किया गया। जिसमें स्पष्ट लिखा था फलों को बंदरों से न बचाए जाने पर गार्द कर्मियों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी।