उत्तराखंड

नहीं बढ़े बिजली के दाम, यूपीसीएल की दलील बेकाऱ. आयोग करेगा विचार

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देहरादून। उत्तराखंड में बिजली के दाम दूसरी बार बढ़ाए जाने की पैरवी करने वाले यूपीसीएल ने आज सोमवार को उत्तराखंड नियामक आयोग में अपनी बात रखी। इस दौरान जनसुनवाई में लोगों ने यूपीसीएल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए बिजली के दामों में बढ़ोतरी न किए जाने की पैरवी की है। खास बात यह रही कि आम जनता की जेब पर बोझ डालने वाले इस मुद्दे पर राजनीतिक रूप से उत्तराखंड क्रांति दल के अलावा किसी भी पार्टी का प्रतिनिधि मौजूद नहीं रहा। उत्तराखंड के लोगों पर बिजली के दामों में बढ़ोतरी के रूप में बोझ डालने की तैयारी की जा रही है, तो जन सुनवाई के जरिए तमाम संगठन और आम लोग यूपीसीएल के दाम बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध भी कर रहे हैं। उत्तराखंड नियामक आयोग में आज जनसुनवाई के जरिए यूपीसीएल के प्रस्ताव पर लोगों की बात को सुना गया। इस दौरान आम लोगों से जुड़े इस मुद्दे पर जनता की पैरवी करने के लिए केवल उत्तराखंड क्रांति दल के प्रतिनिधि ही मौजूद दिखाई दिए। लेकिन कांग्रेस और बीजेपी के नेता मौके पर मौजूद नहीं रहे। आयोग में तमाम लोगों ने ऊर्जा निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए। साथ ही ऊर्जा निगम के अधिकारियों की गलती को जनता पर बोझ के रूप में नहीं डालने की पैरवी की़बिजली के दामों पर जनसुनवाईआयोग में आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष और सदस्य तकनीकी ने सभी लोगों की बात सुनी और उस पर ऊर्जा निगम के अधिकारियों का पक्ष भी जाना। बता दें कि अप्रैल महीने में पहले ही बिजली के दामों में बढ़ोतरी की जा चुकी है और यह साल में दूसरा मौका होगा जब यूपीसीएल बिजली के दामों में बढ़ोतरी की डिमांड कर रहा है।
बिजली के दाम 12़27 फीसदी बढ़ाने की मांगरू उत्तराखंड में ऊर्जा निगमों की तरफ से 12़27 प्रतिशत बिजली के दामों में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को भेजा है।
दो बार दाम बढ़ाए जाने का नियम नहींरू
वैसे सामान्य रूप से साल में दो बार बिजली के दाम में बढ़ोतरी नहीं की जा सकती। लेकिन ऊर्जा निगम इसे आपात स्थिति बताकर बिजली के दामों में बढ़ोतरी चाहता है। सुनवाई के दौरान निगम के अधिकारियों ने कहा कि प्रदेश में कहीं भी रोस्टिंग नहीं की जा रही है और अब भी महंगे दामों में बिजली खरीदी जा रही है। लिहाजा भविष्य में भी बिजली की बेहतर आपूर्ति हो इसके लिए जरूरी है कि बिजली के दाम बढ़ाया जाएं। इसको लेकर आयोग भविष्य में फैसला करेगा।
ऊर्जा निगम ने मांगा बजटरू वित्तीय संकट से उबरने के लिए उत्तराखंड पावर करपोरेशन लिमिटेड ने (न्च्ब्स्) राज्य सरकार से घ्350 करोड़ की वित्तीय मदद मांगी थी। निगम अब तक बैंकों से करीब 100 करोड़ रुपए का ओवर ड्राफ्ट कर चुका है। यूपीसीएल एफडी के एवज में 250 करोड़ तक का ओवर ड्राफ्ट कर सकता है। यहां हैरान करने वाली बात यह है कि ऊर्जा निगम कई करोड़ के बकायेदारों से बकाया नहीं वसूल पा रहा है।
महंगी बिजली खरीदने की मजबूरीरू उत्तराखंड पावर करपोरेशन लिमिटेड के मुताबिक वर्तमान समय में प्रदेश भर में प्रतिदिन 45 मिलियन यूनिट बिजली जरूरत होती है, जबकि 31़52 मिलियन यूनिट बिजली उपलब्ध है। हालांकि, बाकी की बिजली खरीदकर आपूर्ति की जाती है। जानकारी के मुताबिक पिछले 2 महीने में करीब 400 करोड़ की बिजली खरीदी गई है, जबकि सामान्य स्थिति में यूपीसीएल 300 करोड़ तक बिजली खरीदता है।
बकाया नहीं वसूल पा रहा निगमरू उत्तराखंड बिजली विभाग का बकायेदारों पर करोड़ों का बकाया है। ऊर्जा निगम की तरफ से बकायदा अपनी अफिशियल वेबसाइट पर भी ऐसे डिफल्टर्स की सूची जारी की गई है, जिन्होंने विभाग का पैसा दबाकर रखा है। इस लिस्ट में 2500 से ज्यादा ऐसे डिफल्टर्स हैं, जिन्हें 1 लाख से ज्यादा बकाया देना है़इसमें अधिकतर घ्5 लाख से अधिक के बकायेदार हैं। डिफल्टर्स की 54 पेज की सूची में ऐसे बकाएदार भी हैं, जिनका बकाया घ्10 लाख से भी ज्यादा है। 60 पेज की दूसरी सूची में ऐसे डिफल्टर्स के नाम लिखे गए हैं, जिन्हें घ्2000 से ज्यादा की देनदारी करनी है। इसमें भी करीब 3 हजार संस्थान या लोग हैं जिन्हें यह बकाया देना है।

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