देश-विदेश

कर्नाटक में हेडगेवार से जुड़ा पाठ हटाने पर बवाल

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

नई दिल्ली , एजेंसी। कर्नाटक में अब किताब पर राजनीति शुरू हो गई है। राज्य के मंत्री दिनेश गुंडुराव ने कहा है कि सिद्धारमैया सरकार पिछली भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई पाठ्यपुस्तकों से कुछ पाठों को हटाएगी। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार से जुड़ी सामग्री भी शामिल है।
राज्य में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने किताबों में बदलाव के संकेत देने शुरू कर दिए थे। अब इसकी घोषणा ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच विवाद का एक विषय बना दिया है। ऐसे में जानना जरूरी है कि कर्नाटक में किताबों को लेकर क्या हो रहा है? किताबों से क्यों हटाया जा रहा हेडगेवार का पाठ? क्या पहले भी उनसे जुड़े विवाद थे? सरकार का क्या कहना है? इस पर भाजपा ने क्या प्रतिक्रिया दी? आइए समझते हैं…
संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार का जन्म 1 अप्रैल 1889 को नागपुर स्थित एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 13 साल की उम्र में प्लेग संक्रमण की वजह से केशव ने अपने माता-पिता को खो दिया। पुणे में स्थित हाईस्कूल में उन्होंने शुरुआती पढ़ाई की। 1915 में वो डॉक्टर के रूप में नागपुर लौटे।
संघ के अनुसार, डॉक्टर बनने के पीछे केशव का उद्देश्य कभी भी शासकीय सेवा में प्रवेश लेना या अपना अस्पताल खोलकर पैसा कमाना नहीं था। उनका तो एकमात्र ध्येय, भारत का स्वातंत्र्य ही था। अपने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वे लोकमान्य तिलक से प्रेरणा लेकर वर्ष 1916 में कांग्रेस के जन-आंदोलन से जुड़ गए। डॉ. हेडगेवार ने 1920 में नागपुर में हुए कांग्रेस के अधिवेशन का पूरा जिम्मा संभाला था। 1925 में विजयदशमी के दिन ही हेडगेवार ने संघ की स्थापना की। 21 जून, 1940 को बीमारी के चलते डॉ. हेडगेवार का निधन हो गया।
कर्नाटक सरकार ने स्कूल की पाठ्यपुस्तक में बदलाव की योजना बनाई है। सरकार आरएसएस संस्थापक से जुड़ा पाठ हटाने पर विचार कर रही है। रिपोट्र्स के मुताबिक, यह निर्णय बेंगलुरु में शैक्षिक सुधारों पर एक बैठक में लिया गया था। इस बैठक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और स्कूल शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने भाग लिया था। रिपोट्र्स के मुताबिक, कक्षा 10 की कन्नड़ पाठ्यपुस्तक में हेडगेवार पर एक अध्याय इस शैक्षणिक वर्ष से हटा दिया जाएगा। यह अध्याय पिछली भाजपा सरकार द्वारा राज्य के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया था।
यह निर्णय कर्नाटक में शिक्षा जगत से जुड़े लोगों की एक अपील के हफ्तों बाद आया है। दरअसल, पिछले दिनों शिक्षकों और स्कूल संघों ने नवगठित सरकार से पिछली भाजपा सरकार द्वारा राज्य पाठ्यक्रम की पाठ्यपुस्तकों में किए गए बदलावों को उलटने की मांग की थी।
बेंगलुरु में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया में शिक्षा के सार्वभौमीकरण की प्रमुख प्रोफेसर वीपी निरंजन आराध्या के साथ मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की एक बैठक हुई। इस दौरान एक प्रस्ताव लाया गया कि नई मुद्रित पाठ्यपुस्तकों में परिवर्तित अध्यायों को शिक्षण और मूल्यांकन से बाहर रखा जा सकता है। बता दें कि राज्य में शैक्षिक सत्र 2023-24 के लिए छात्रों को पुस्तकें पहले ही वितरित की जा चुकी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!