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ऊर्जा निगम कर्मियों ने काला फीता बांधकर जताया विरोध

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संवाददाता, विकासनगर। उत्तराखंड अधिकारी, कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले सोमवार को ऊर्जा निगम कर्मियों ने छिबरो, खोदरी,ढकरानी, ढालीपुर, कुल्हाल पावर हाउस सहित डाकपत्थर, विकासनगर, सहसपुर कार्यालयों में काला फीता बांधकर सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध जताया। विरोध प्रदर्शन कर रहे कर्मियों ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के बाद, राज्य विद्युत बोर्ड इस विचार के साथ गठित किए गए थे कि बिजली उद्योग लाभ कमाने वाला उद्योग नहीं होगा बल्कि यह अधिकतम तीन प्रतिशत तक लाभ कमाते हुए सभी नागरिकों और उद्योगों के लिए सेवा करने के लिए समर्पित होगा।
अब केंद्र सरकार बिजली विधेयक संशोधन के माध्यम से नियामक आयोग एवं राज्य सरकारों के सारे अधिकारों को केंद्र सरकार को हस्तांतरित करने के प्रावधान बनाकर बिजली क्षेत्र को आसानी से बड़े निजी घरानों को सौंपने का रास्ता बना रही है। जिससे कि निजी घराने अपने व्यवसायिक लाभ हेतु अपनी सेवा शर्तों पर आमजन और लघु उद्योग को सुलभ बिजली प्राप्त होने के अधिकारों से वंचित कर सकें। कहा कि ऊर्जा निगम का निजीकरण करने से कर्मचारियों के साथ ही आम जनता को भी नुकसान झेलना होगा। साथ ही राष्ट्रीय महत्व की जल विद्युत परियोजनाओं को सरकारी नियंत्रण से हटाकर निजी क्षेत्र में देना सुरक्षा के लिहाज से भी उचित नहीं हैं। विरोध कर रहे कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार लगातार श्रमिक विरोधी नीतियों को अपना रही है। जिससे श्रमिकों और अल्प वेतनभोगी कर्मचारियों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। ऊर्जा निगम जैसे राष्ट्रीय महत्व के विभाग को निजी क्षेत्र में सौंपना अदूरदर्शी निर्णय साबित होगा। इससे जनता के साथ ही उत्तराखंड में ऊर्जा के तीनों निगमों में कार्यरत हजारों कर्मचारियों के साथ ही देश भर के ऊर्जा कर्मियों के हितों पर भी कुठाराघात होगा। विरोध करने वालों में एसडीओ राजपाल, अश्वनी कुमार, अरुण कुमार, राजेश चौहान, पंकज नैथानी, योगेश दत्त, गोविंद सिंह, संजय राणा, संजय सत्संगी आदि शामिल रहे।

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