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वनाग्नि में मूक वन्यजीवों की मौत है गंभीर अपराध, वन मंत्री के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग

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-कल्जीखाल निवासी सामाजिक कार्यकत्र्ता राजेश सिंह कोली ने उठाई मांग
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी।
जनपद के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने वनाग्नि में मूक वन्यजीवों की मौत को गंभीर अपराध बताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है। साथ ही वन मंत्री के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग भी की है। उन्होंने एनजीटी को पत्र भेज उत्तराखंड में हुई वनाग्नि, रोकथाम में वन विभाग की नाकामी पर सवाल उठाए हैं। कहा कि वनाग्नि से मूक जंगली जानवर, सरीसृृप, कीट पतंगे, पक्षी सहित न जाने कितने ही वन्यजीव जलकर अकाल मौत के शिकार हो गए हैं, लेकिन वन विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। जबकि यह वन्यजीवों की सुनियोजित निर्मम हत्या है। वहीं वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वन्यजीवों की मौत का कोई आंकलन नहीं हो पाया है।
जनपद पौड़ी के विकासखंड कल्जीखाल स्थित पयासू गांव निवासी सामाजिक कार्यकर्ता राजेश सिंह कोली राजा ने एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) को लिखे पत्र में कहा कि उत्तराखंड के जंगल अक्टूबर-नवंबर 2020 से लगातार जल रहे हैं। वन विभाग वनाग्नि को नियंत्रित करने में पूरी तरह विफल है। उन्होंने कहा कि जंगलों की आग से इस पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा मूल वन्यजीव अकाल मौत के शिकार हो गए हैं, लेकिन इसका कोई आंकलन तक नहीं किया जा रहा है। वन विभाग के लापरवाही पूर्ण कार्य से लगाता है कि वन्यजीवों की सुनियोजित रुप में निर्मम हत्या की जा रही है। कोली ने कहा कि वनाग्नि से खरगोश से लेकर शेर, केंचुवे से लेकर अजगर, कीट-पतंगे, तितलियां, पक्षियों की न जाने कितनी प्रजातियां समाप्त हो गई हैं। कहा कि वन विभाग जंगली जानवरों की गैरकानूनी रुप से मारे जाने पर कार्रवाई करता है, लेकिन वनाग्नि मामले में आंकलन तक नहीं कर रहा है। उत्तराखंड की वनाग्नि को लेकर सरकार, मंत्री व अधिकारियों का व्यवहार या कार्यशैली दोषपूर्ण हैं। कोली ने कहा कि वन मंत्री के खिलाफ उचित धाराओं में मुकदमा दर्ज किए जाना चाहिए। वनाग्नि की रोकथाम में विफल अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल सुशांत पटनायक ने बताया कि जंगलों की आग में वन्यजीवों के मरने को लेकर कोई आंकलन विभाग स्तर पर नहीं हुआ है। किसी स्तर पर यह आंकलन सामने आता है, तो कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।

एक जीवन चक्र हो जाता है समाप्त
पौड़ी।
वनाग्नि में वन्यजीवों की मौत को वैज्ञानिको ने गंभीर बताया है। युवा जीव वैज्ञानिक डा. योगेंद्र सिंह ने कहा कि उत्तराखंड के वनों में पहाड़ के निचले छोर से आग लगाई जाती है। जो ऊपर की ओर बढ़ते ही लगातार भीषण रुप ले लेती है। ऐसे में वन्यजीव एक समय ऐसी स्थिति में आ जाते हैं कि वह कहीं भाग नहीं पाते हैं। जिससे उनकी अकाल मौत हो जाती है। उन्होंने कहा कि वनाग्नि से जैव विविधता पूरी तरह प्रभावित हो जाती है। या यूं कहें कि एक जीवन चक्र नष्ट हो जाता है।

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