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22 वर्षो से खौफ में जीने को विवश ग्वांस गांव के ग्रामीण

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रुद्रप्रयाग। विस्थापितों के प्रति सरकार कितनी संवेदनशील है, यह अगस्त्यमुनि ब्लॉक के ग्राम पंचायत घिमतोली के ग्वांस गांव के ग्रामीणों के खौफ को देखकर लगाया जा सकता है। ग्रामीण पिछले 22 वर्षो से खौफ में जीने को विवश हैं। गांव में हल्की बारिश पर भी ऊपर पहाड़ी से पत्थर गिरने शुरू हो जाते हैं। कई बार गांव के लोग पूरी रात जागकर गुजारते हैं। बावजूद इसके गांव का विस्थापन नहीं किया गया है, न ही कोई सुरक्षा उपाय किए गए। इससे ग्रामीणों में सरकार के प्रति भारी रोष है। पोखरी मोटर मार्ग पर स्थित ग्वांस गांव आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। यह गांव पहाड़ी की तलहटी में बसा हुआ है, हल्का पत्थर भी सीधे ग्रामीणों के घरों तक पहुंच जाता है। वर्ष 1998 में आए भूकंप से गांव के ठीक ऊपर पहाड़ी में दरारें पड़ गई थी, जो प्रतिवर्ष गहरी होती जा रही हैं। क्षेत्र में कई बड़े बोल्डर भी अटके हुए हैं, जो कभी भी किसी अनहोनी का कारण बन सकते हैं। गांव के 42 परिवार हर समय खौफ के साए में जी रहे हैं। 22 वर्ष पूर्व भूकंप के बाद प्रशासन ने दरारों का निरीक्षण करते हुए ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर विस्थापित करने का प्रस्ताव भेजा था। लेकिन, 22 वर्ष बाद भी हालात जस के तस बने हुए हैं। क्षेत्र पंचायत सदस्य अर्जुन सिंह नेगी का कहना है कि 23 वर्षों से ग्रामीण दहशत में जीने को मजबूर हैं। बरसाती सीजन में पहाड़ी पर पड़ी दरारों से भूस्खलन होता है, जिससे जानमाल के नुकसान का भय बना रहता है। उन्होंने दरारों का ट्रीटमेंट करने के साथ ही बोल्डरों को निस्तारित करने की मांग की है। वहीं डीएम मनुज गोयल ने बताया कि ग्वांस गांव के बारे में तहसील से जानकारी मांगी गई है। साथ ही बोल्डरों के निस्तारण सहित अन्य जरूरी कार्यों के लिए शासन से पत्राचार किया जा रहा है। हरसंभव प्रयास होगा कि ग्रामीणों की समस्याएं निस्तारित हों।

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