देश-विदेश

मल्लिकार्जुन खरगे के भाषण से हटाए गए शब्द, कांग्रेस ने जताई आपत्ति, कहा- कुछ भी असंसदीय नहीं

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

नई दिल्ली, एजेंसी। विपक्षी कांग्रेस ने गुरुवार को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के भाषण के कुछ हिस्सों को आधिकारिक रिकर्ड से हटाने पर आपत्ति जताई। पार्टी ने दावा किया कि उन्होंने किसी असंसदीय शब्द का इस्तेमाल नहीं किया और उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए कुछ शब्दों का इस्तेमाल पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी किया था। हालांकि, धनखड़ ने समीक्षा से इनकार करते हुए कहा कि वह पहले ही फैसला कर चुके हैं।
राज्यसभा में दिन की कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस सांसद बुधवार को की गई टिप्पणियों को कार्यवाही से हटाने के औचित्य पर सवाल उठा रहे थे, जबकि इसी तरह की टिप्पणियां पूर्व प्रधानमंत्रियों वाजपेयी और मनमोहन सिंह ने सदन में की थीं और जो कार्यवाही का हिस्सा बनी हुई हैं।
वहीं, मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि बजट सत्र की शुरुआत में लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार सदन में कही गई बातों को सदन की कार्यवाही से नहीं हटाया जा सकता।
खरगे ने कहा, ष्मैंने न तो किसी असंसदीय शब्द या भाषा का इस्तेमाल किया और न ही किसी पर कोई आरोप लगाया। फिर भी आप कुछ शब्द चुनकर निकाल देते हैं ़.़ मैं यह नहीं कहूंगा कि आपने उनकी गलत व्याख्या की, लेकिन अगर आपको कोई संदेह था तो आप एक अलग तरीके से स्पष्टीकरण मांग सकते थे। इसके बजाय भाषण के छह अलग-अलग हिस्सों को हटा दिया गया।ष् कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा, ष्ये वही शब्द हैं जिनका इस्तेमाल सदन में पहले भी किया गया था। वाजपेयी ने (पूर्व प्रधानमंत्री) पीवी नरसिम्हा राव के लिए भी इसी शब्द का इस्तेमाल किया था। यह अभी भी रिकर्ड का हिस्सा है, आप इसे देख सकते हैं।ष्
उन्होंने कहा कि जब जयराम रमेश सहित पार्टी के नेता कोई मुद्दा उठाने की कोशिश करते हैं तो उन्हें काटकर छोटा कर दिया जाता है। उन्होंने कहा, आप कहते हैं कि यह सही नहीं है़.़ आप बैठ जाओ़.़ आपको पढ़ाई करनी चाहिए। रमेश ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की है और उन्हें हिंदी, कन्नड़, अंग्रेजी आती है। वह संसदीय भाषा जानते हैं और फिर भी आप उन्हें टोकते रहते हैं। यह सही नहीं है। उन्होंने सभापति धनखड़ से रिकर्ड देखने को कहा। जब खरगे ने जब कहा कि जो भी उनके बचाव में आता है, उसे कुर्सी से रोका जाता है, इस पर धनखड़ ने कहा कि सभापति विपक्ष के नेता के अंतिम रक्षक हैं। खरगे ने पलटवार करते हुए कहा, लेकिन वही तो नहीं हो रहा है। आप हटा रहे हैं।
इससे पहले जयराम रमेश ने कहा कि खरगे ने केवल संसदीय शब्दों और भाषा का इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा, अगर इसे हटाया जाना है तो बोलने का क्या फायदा है? यह गलत है़.़ हम इसे (हटाने के फैसले को) स्वीकार नहीं कर सकते। सभापति जगदीप धनखड़ ने पलटवार करते हुए कहा, श्नहीं मान सकेश् से आपका क्या मतलब है। इतना आलोचनात्मक होने से आपका क्या मतलब है। मैं हैरान हूं।
कांग्रेस के मुकुल वासनिक ने कहा कि विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए नोटिस दिए लेकिन सभापति ने उन्हें यह कहते हुए खारिज कर दिया कि संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सांसद इस विषय पर बोलने के लिए स्वतंत्र होंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता ने बुधवार को प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अपने विचार व्यक्त किए लेकिन आपने इसे कार्यवाही से हटा दिया। उन्होंने सवाल किया कि विपक्ष के नेता के भाषण का कौन सा हिस्सा असंसदीय था।
प्रमोद तिवारी (कांग्रेस सांसद) ने कहा कि खरगे प्रधानमंत्री का वर्णन करने के लिए जिन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, वे पहले संसद के साथ-साथ ओडिशा और कर्नाटक की राज्य विधानसभाओं में भी बोले जाते हैं। वे पूरी तरह से संसदीय हैं। उन्होंने दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पहले भी राज्यसभा में इसी तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया था और यह सदन के रिकर्ड का हिस्सा है। उन्होंने सभापति से संसदीय परंपराओं की रक्षा करने को कहा क्योंकि खरगे धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए उनके निर्देश के अनुसार बोल रहे थे और इसे 267 नोटिस के माध्यम से नहीं उठा रहे थे। उन्होंने कहा, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि जिन शब्दों को हटाया गया है, उन्हें कार्यवाही का हिस्सा बनाएं
धनखड़ ने कहा, मैंने सदन द्वारा बनाए गए नियमों के आलोक में कार्यवाही की जांच की है। और नियम 261 मुझ पर एक दायित्व डालता है़.़ इस तरह की टिप्पणियां करना कि सब कुछ हटा दिया गया है, उचित नहीं है। मैं उम्मीद करता हूं कि माननीय सदस्य पहले उन चीजों का अध्ययन करेंगे जिन्हें हटाया गया है। मैं आपसे फिर आग्रह करूंगा कि हम एक ऐसे सदन में हैं जहां कुछ शिष्टाचार बनाए रखा जाना चाहिए।
कांग्रेस सांसदों के दबाव में आने पर उन्होंने कहा, मैंने अपना फैसला ले लिया है। इससे पहले धनखड़ ने कहा कि उन्होंने बीआरएस के के़क केशव राव और आप के संजय सिंह द्वारा दिए गए नोटिस को खारिज कर दिया है क्योंकि वे सही नहीं थे। दोनों चाहते थे कि अमेरिकी शर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अदाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों और उसके कारण शेयरों में गिरावट पर चर्चा के लिए सूचीबद्घ किया जाए। संजय सिंह ने कहा कि यह अदाणी-मोदी घोटाला है। उन्होंने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से इसकी जांच कराने की मांग की। इसके बाद पार्टी ने 267 नोटिस की अनुमति न दिए जाने के विरोध में सदन से बयकट किया।
विपक्ष ने गुरुवार को केंद्रीय बजट को लेकर कहा कि इसने देश में गरीबी और बेरोजगारी पर सीधा हमला करने का मौका गंवा दिया है। लोकसभा में बजट पर चर्चा फिर से शुरू करते हुए वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सदस्य मार्गानी भरत राम ने कहा कि बजट में आंध्र प्रदेश के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया है, जिसे पिछली कांग्रेस नीत संप्रग (यूपीए) सरकार ने जन्मदिन के केक की तरह बांट दिया था।
वाईएस कांग्रेस पार्टी के नेता ने कहा कि आंध्र प्रदेश के साथ अन्याय हुआ है, जिसने अलग तेलंगाना आंदोलन और हैदराबाद शहर सहित नए राज्य को दशकों से बनाई गई संपत्तियों के आवंटन के कारण 13 साल गंवा दिए। भरत राम ने मांग की कि केंद्र को आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देना चाहिए, जैसा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में वादा किया था, जब 2014 में आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक पारित किया गया था। भरत राम ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रसोई गैस की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने का मौका गंवा दिया है। वाईएसआरसीपी नेता ने कहा, सरकार ने चुनावी दांव खेलने का मौका गंवा दिया है।
वहीं, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सदस्य सौगत रय ने कहा कि केंद्रीय बजट किसान विरोधी, गरीब विरोधी और ग्रामीण विरोधी है। मनरेगा के बजट में कटौती और खाद्य एवं उर्वरक सब्सिडी में कटौती के लिए वित्त मंत्री पर निशाना साधते हुए रय ने कहा, बजट ने किसानों को वैश्विक बाजारों की अनिश्चितताओं से अवगत कराया है और षि की अर्थव्यवस्था को और भी नाजुक बना दिया है। तृणमूल नेता ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अदाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से जांच कराने की भी मांग की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!