उत्तराखंड

श्रमिकों का शिष्टमंडल एसडीएम और श्रम प्रवर्तन अधिकारी से मिला

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रुद्रपुर। लोहियाहेड रोड स्थित एक फैक्ट्री के कर्मचारियों ने फैक्ट्री प्रबन्धन द्वारा बिना कारण बताए दो सौ कर्मचारियों को काम से हटाये जाने का आरोप लगाते हुए विरोध में दूसरे दिन भी धरना दिया। कर्मचारियों का आरोप था कि उन्हें तीन माह से वेतन नहीं दिया गया है। कारखाना प्रबंधन ने उनसे पीएफ का पैसा काटा, लेकिन वह पीएफ फंड में जमा नहीं किया। बिना किसी नोटिस के उन्हें कारखाने से बाहर कर दिया। धरने के दौरान श्रमिकों का एक शिष्टमंडल एसडीएम रविंद्र सिंह बिष्ट और श्रम प्रवर्तन अधिकारी मीनाक्षी भट्ट से मिला। तहसील में कारखाने से निकाले गए श्रमिकों का धरना दूसरे दिन भी जारी रहा। श्रमिकों ने फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन कर नारेबाजी की। श्रमिकों ने कहा कि 17 अप्रैल को 200 कर्मचारियों को बगैर पूर्व नोटिस और तीन माह वेतन दिए ही कारखाने से बाहर कर दिया गया। कारखाने से निकाले जाने के बाद उनके बकाया धनराशि भुगतान भी कंपनी नहीं कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती तब तक उनका धरना जारी रहेगा। श्रमिकों ने एसडीएम बिष्ट और लेबर इंस्पेक्टर से बात की। इस पर लेबर इंस्पेक्टर भट्ट ने कहा कि उनके द्वारा जांच रिपोर्ट सहायक श्रमायुक्त यूएसनगर को 19 अप्रैल की जा चुकी है। इसमें श्रमिकों और डीएलसी की वार्ता गतिमान है। कारखाना प्रबंधन और श्रमिकों के बीच सेटलमेंट को लेकर भी बात हो सकती है। श्रमिकों का इसमें क्या रुझान है यह जानने की आवश्यकता है। जहां तक पीएफ की शिकायत है। उसमें भी पीएफ कमिश्नर से इसकी शिकायत करने को कहा है। जहां तक उनके स्तर पर कार्रवाई गतिमान है। जो भी श्रमिकों के हित में होगा वह किया जाएगा। श्रमिकों को न्याय दिया जाएगा। एसडीएम बिष्ट ने कहा कि जांच रिपोर्ट के आधार पर जो भी कार्रवाई होगी उसे स्थानीय प्रशासन लागू कराएगा। एसडीएम से वार्ता करने वालों में सत्यम सिंह, अनुपम सिंह, राजेंद्र सिंह, केपी सिंह, अखिलेश्वर आदि शामिल रहे।

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