कोटद्वार-पौड़ी

योगाभ्यास के राजा के नाम से जाना जाता है शीर्षासन: योग प्रचारिका

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। योग प्रचारिका रेखा नेगी ने बताया कि शीर्ष का मतलब होता है सिर (माथा) और आसन योगाभ्यास के लिए इस्तेमाल किया जाता है। शीर्षासन के जितने
भी फायदे गिनाये जाएं कम है। इसकी लाभ और उपयोगिता इस बात से समझा जा सकता है कि आसनों की दुनिया में इस योगाभ्यास को राजा के नाम से जाना
जाता है। यह योगाभ्यास आपको सिर से लेकर पैर की उँगुलियों तक फायदा पहुँचाता है।
शीर्षासन के लाभ:- यह आसन आसनों का राजा है। इससे शुद्ध रक्त मस्तिष्क को मिलता है। जिससे आँख, कान, नाम आदि को आरोग्य मिलता है।
पाचनतंत्र, अमाशय, हर्निया, कब्ज, वेरिकोज, वेन्स, लीवर, किडनी आदि के रोग दूर होते है। थायराइड, गलैण्ड को सक्रिय कर दुर्बलता और मोटापा दोनों को दूर करता
है।
शीर्षासन की सावधानी: जिनको उच्च रक्तचाप हो उन्हें यह आसन नहीं करनी चाहिए। हृदय रोग से पीड़ित लोगों को इस आसन कोे करने से बचना चाहिए।
सर्वाइकल स्पॉण्डिलाइटिस के रोगियों को यह आसन नहीं करना चाहिए। सर्दी एवं अत्यधिक जुकाम के हालात में इस आसन को मत करें। कान बहने की शिकायत
होने पर भी इस आसन के करने से बचना चाहिए। आरंभ में कम अवधि के लिए यह आसन करना चाहिए। जिसके कान बहते हो, कानों में दर्द हो उनको यह
आसन नहीं करना चाहिए। नजदीक का चश्मा हो या आँखों में लाली हो तब भी यह आसन नहीं करना चाहिए। कमर दर्द वाले यह आसन न करें। भारी व्यायाम
करने के बाद शीर्षासन न करें।

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