जिला चिकित्सालय फिर विवादों में: ब्लड नहीं दिया तो गर्भवती महिला को जिला चिकित्सालय से नहीं मिलेगी छुट्टी
-गर्भवती महिलाओं के तीमारदारों पर दिया जा रहा है ब्लड डोनेट के लिए दबाव
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी। पीपीपी मोड पर संचालित हो रहा जिला चिकित्सालय एक बार फिर विवादों में है। जिला चिकित्सालय में गर्भवती महिलाओं के तीमारदारों को रक्तदान किए जाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि जब तक तीमारदार ब्लड डोनेट नहीं कर रहे हैं, तब तक जिला चिकित्सालय से गर्भवती महिलाओं को छुट्टी नहीं दी जा रही है। वहीं चिकित्सालय के चिकित्साधीक्षक का कहना है कि आपातकाल में मरीजों को ब्लड की दिक्कत न हो, इसलिए तीमारदारों पर ब्लड डोनेट के लिए दबाव बनाया जा रहा है। चिकित्साधीक्षक का यह भी कहना है कि यदि दबाव नहीं बनाएंगे, तो कोई भी ब्लड डोनेट नहीं करेगा। हालांकि बिना ब्लड डोनेट किए गर्भवती महिलाओं को छुट्टी न दिए जाने की बात से उन्होंने साफ इंकार किया।
पीपीपी मोड पर संचालित हो रहा जिला चिकित्सालय एक बार फिर विवादों में है। इस बार विवाद ब्लड डोनेट के लिए दबाव बनाए जाने पर है। जिला चिकित्सालय में प्रसव के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं के तीमारदारों पर रक्तदान किए जाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। पीपीपी मोड पर जाने के बाद से अभी तक जिला अस्पताल में करीब 80 प्रसव हो चुके हैं। बताया जा रहा है कि सबदरखाल क्षेत्र से आई गर्भवती महिला आरती के तीमारदारो को जब
अस्पताल प्रबंधन ने रक्त दान के लिए दबाव दिया तो आरती ने गांव से अपने भाई को बुलाकर रक्तदान करवाया। सामाजिक कार्यकर्ता नमन चंदोला ने बताया कि पीपीपी मोड पर संचालित होने के बाद जिला अस्पताल में अव्यवस्थाएं लगातार हावी होती जा रही है। सरकार ने अस्पताल के संचालन से हाथ पीछे खींच लिए हैं। अब अस्पताल प्रबंधन मरीजों के तीमारदारों को ब्लड डोनेट के लिए मजबूर कर रहा है। जो कि गलत है। वहीं अस्पताल के चिकित्साधीक्षक डा. गौरव रतूड़ी ने कहा कि आपातकाकल में मरीजों को रक्त की कमी न पड़े, इसके लिए गर्भवती महिलाओं के तीमारदारों को रक्तदान के लिए कहा जा रहा है। डा. रतूड़ी ने कहा कि ब्लड डोनेट के लिए हल्का दबाव बनाया जाता है। यदि दबाव नहीं बनाया जाएगा तो कोई भी रक्तदान नहीं करेगा। रतूड़ी ने इस बात से साफ इंकार किया कि बिना रक्तदान किए अस्पताल से छुट्टी नहीं दी जा रही है।
दो माह तक परेशान रही गर्भवती महिलाएं
जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाएं दो माह तक परेशान रही। यहां दो माह तक अल्ट्रासाउंड सुविधा नहीं थी। जिससे गर्भवती महिलाओं को 30 किमी. दूर श्रीनगर की दौड़ लगानी पड़ रही थी। मीडिया में प्रमुखता से खबर प्रकाशित होने पर कुछ दिन पूर्व ही अल्ट्रासाउंड सुविधा शुरू हुई है।