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पौड़ी गढ़वाल के 14 बच्चे जूझ रहे यूक्रेन के तनाव से

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कोटद्वार क्षेत्र के 10 बच्चे फंसे हैं यूक्रेन में, भारत सरकार से मदद लगा रहे गुहार
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : रूस व यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव से पौड़ी गढ़वाल के 14 बच्चे जूझ रहे हैं। जिनमें 10 बच्चे अकेले कोटद्वार क्षेत्र के हैं। विपरीत परिस्थितियों में दिन काट रहे इन बच्चों व उनके परिजनों ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
यूक्रेन में फंसे उत्तराखंड के बच्चों के संबंध में जानकारी देने के लिए शासन की ओर से हेल्पलाइन नंबर 112 जारी किया गया है। जिस पर अभी तक पौड़ी गढ़वाल से 14 बच्चों के परिजनों से सूचना दर्ज कराई है। परिजनों का कहना है कि यूक्रेन में हालात अच्छे नहीं हैं। उनकी रोज अपने बच्चों से फोन पर बात हो रही है, वहां से बच्चे बताते हैं कि बम धमाकों की आवाज से वह दहशत में आ जाते हैं। हालात इस कदर खराब हैं कि उन्हें रात को नींद तक नहीं आ रही है। खाने-पीने के साधन भी सीमित हैं, किसी तरह वह अपना गुजारा कर रहे हैं। परिजनों ने कहा कि सरकार को बच्चों की घर वापसी को विशेष प्रयास करने चाहिए, जिससे बच्चे सुरक्षित अपने परिवार के पास पहुंच सकें। उधर, प्रशासन का कहना है कि उन्होंने उच्चाधिकारियों को पौड़ी जनपद के बच्चों के संबंध में जानकारी दे दी है।
यह तस्वीर यूक्रेन के कीव शहर की है, जो इंटरनेट मीडिया से ली गई है।

यूक्रेन में फंसे कोटद्वार के बच्चों की कहानी, उनके परिजनों की जुबानी

बिटिया से रोज हो रही है बात, कीव स्थित हॉस्टल के बेसमेंट में हैं सुरक्षित
बेलाडाट पंचवटी विहार निवासी भारतेंदु लखेड़ा ने कहा कि उनकी बेटी 22 वर्षीय स्निग्धा लखेड़ा यूके्रन के कीव में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। उसका चौथा साल चल रहा है। वह हॉस्टल के बेसमेंट में छुपे हुए हैं। स्निग्धा ने फोन पर परिजनों को बताया कि वह रातभर सो नहीं पाते हैं। बार-बार धमाकों की आवाज आती रहती है। भारतेंदु लखेड़ा ने सरकार से जल्द से जल्द बिटिया को भारत लाने की अपील की है।
यूक्रेन में फंसी एमबीबीएस की छात्रा स्निग्धा

जल्द भारत लौटेंगी विभूति व संस्कृति
रूस व यूक्रेन के बीच बढ़ते विवाद के कारण उपजे तनाव के चलते यूक्रेन में फंसी दो बहनें विभूति व संस्कृति के जल्द ही भारत लौटने की उम्मीद है। जौनपुर कोटद्वार निवासी अनुभूति भारद्वाज ने बताया कि उनकी बहन 22 वर्षीय विभूति यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। विभूति तृतीय वर्ष की छात्रा हैं, जबकि उनकी सबसे छोटी बहन 20 वर्षीय संस्कृति एमबीबीएस प्रथम वर्ष की छात्रा हैं। अनुभूति ने बताया कि दोनों बॉर्डर क्रास करके रोमीनिया पहुंच गए हैं। विभूति व संस्कृति अलग-अलग बैच में हैं। संस्कृति का चेकइन हो चुका है, वह जल्द ही भारत पहुंच जाएगी। जबकि विभूति से संपर्क नहीं हो पा रहा है, उम्मीद है वह भी जल्द ही भारत पहुंच जाएगी।

अनुरूति व उनके साथी यूक्रेन में रोज जूझ रहे डर से
लोअर कालाबड़ कोटद्वार निवासी वैशाली रावत ने बताया कि उनकी बहन अनुरूति रावत अपने साथियों के साथ कीव के हॉस्टल में बने बंकर में छुपे हुए हैं। वह वहां एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। वैशाली ने बताया कि शुक्रवार रात को ही उनकी अनुरूति से फोन पर बात हुई थी। अनुरूति ने बताया कि वह सुरक्षित नहीं हैं, क्योंकि उनके पास में ही मिलिट्री कैम्प है। उन्हें रात के समय मूव करने से मना किया गया है। जहां वह छुपे हुए हैं, वहां से करीब दो किमी दूर ही एक बिल्डिंग पर मिसाइल से हमला हुआ। जिससे छात्रों में दहशत का माहौल बना हुआ है। अनुरूति व उनके साथियों का अभी वहां से निकलने और भारत लौटने का कुछ पता नहीं चल पा रहा है। अनुरूति के पिता विजय पाल सिंह रावत ने बताया कि अनुरूति व उनके साथियों को पोलेंड व रोमानिया के बॉर्डर तक पहुंचने में बस से करीब आठ घंटे लगेंगे। बॉर्डर से उनकी दूरी ज्यादा होने के कारण उन्हें निकलने में परेशानी हो रही है।


कीव के हॉस्टल में फंसी अनुरूति रावत

सायरन बजते ही दहशत में आ जाते हैं बच्चे, छुप जाते हैं बंकर में
भीमसिंहपुर कलालघाटी निवासी अनिल बलूनी का कहना है कि उनका बेटा 24 वर्षीय शशांक बलूनी यूक्रेन में एमबीबीएस चतुर्थ वर्ष का छात्र है। यूक्रेन में बढ़े तनाव के चलते उनका परिवार काफी परेशान है। उनकी अपने बेटे से रोज फोन पर बात हो रही है। उनका बेटा विनित्स्या शहर में है। फिलहाल इस शहर में कोई हमला नहीं हुआ है। हालांकि कभी-कभी पुलिस अहतियातन सायरन बजा देती है, जिसकी आवाज सुनकर छात्र बिल्डिंग के बेसमेंट में बने बंकर में छुप जाते हैं। साइरन की आवाज सुनते ही बच्चे दहशत में आ जाते हैं। अनिल बलूनी ने बताया कि सभी छात्रों ने करीब एक हफ्ते का राशन एकत्र किया हुआ है। अभी पता नहीं है कि कितने समय वहां रहना पड़े, इसलिए उसी में से थोड़ा-थोड़ा राशन निकालकर दिन काट रहे हैं। अभी फिलहाल उन स्थानों से बच्चों को निकाला जा रहा है, जहां स्थिति ज्यादा खराब है। यहां से बच्चों को निकालने के बाद विनित्स्या से भी बच्चों को निकालने का आश्वासन दिया जा रहा है।


यूक्रेन के विनित्स्या में बंकर में छुपे शशांक बलूनी व उनके साथी।

बच्चों के यूक्रेन से निकलने का नहीं चल रहा कुछ पता
स्टेशन रोड कोटद्वार निवासी किशन चंद्र पंवार का कहना है कि उनके दो बच्चे पायल व अनुराग यूक्रेन में फंसे हुए हैं। दोनों बच्चों से लगातार फोन पर बात हो रही है। बेटी पायल तो रोमानिया पहुंच चुकी है, लेकिन बेटा अनुराग अभी खारकीव में ही फंसा हुआ है। बेटी पायल को भी फ्लाईट नहीं मिल रही है। करीब 15 से 20 हजार छात्र खारकीव में फंसे हुए हैं और किसी तरह फास्टफूड खाकर अपना गुजारा कर रहे हैं। किशन चंद्र पंवार का कहना है कि अभी बच्चों के भारत लौटने का कुछ पता नहीं चल पा रहा है।

 


यूक्रेन में फंसे कोटद्वार के पायल व अनुराग

बिस्किट खाकर कर रहे गुजारा, कहीं से नहीं मिल रही कोई सहायता
देवीमंदिर पदमपुर निवासी विजय कुमार का कहना है कि उनकी बेटी 22 वर्षीय शिवानी शर्मा यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। वह खारकीव में रहते हैं। वहां फिलहाल हालात बहुत खराब हैं। दिन में बच्चे अपने फ्लैट में आ जाते हैं और रात के समय पास के ही मैट्रो स्टेशन जो जमीन के अंदर बना हुआ है में छुप जाते हैं। बच्चों के पास खाने-पीने की भी उचित व्यवस्था नहीं है। वह बिस्किट आदि खाकर ही अपना गुजारा कर रहे हैं। बच्चों के भारत लौटने का भी कुछ पता नहीं चल रहा है।


यूक्रेन के खारकीव में फंसी एमबीबीएस की छात्रा शिवानी शर्मा।

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