आशा कार्यकत्रियों ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। आशा कार्यकत्रियों ने सरकारी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने सहित अन्य मांगों को लेकर 23वें दिन मंगलवार को तहसील परिसर में धरना प्रदर्शन जारी रखा। उन्होंने जल्द ही मांगें पूरी न होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
मंगलवार को धरना स्थल पर आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा कि आशा कार्यकत्रियां प्रदेश सरकार से आशा कार्यकत्रियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने, जब तक मानदेय और कर्मचारियों का दर्जा मिलने तक अन्य विभागों से योजनाओं में लगे कार्मिकों की तरह मानदेय देने, सेवानिवृत्त होने पर पेंशन की सुविधा देने, कोविड कार्यों में लगी आशा कार्यकत्रियों को दस हजार रुपये मासिक भत्ता, 50 लाख रुपये का बीमा और दस लाख का स्वास्थ्य बीमा देने, कोविड ड्यूटी के दौरान मृत आशा कर्मियों के आश्रितों को 50 लाख का बीमा और चार लाख का अनुग्रह राशि देने, सेवा के दौरान दुर्घटना या किसी तरह बीमारी होने पर सुरक्षा के लिए नियम बनाए और न्यूनतम दस लाख रुपये का मुआवजा देने, देय मासिक राशि और सभी मदों का समय से भुगतान करने, आशाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार करने, सभी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति करने की मांग को लेकर 23 दिन से धरना प्रदर्शन कर रही है, लेकिन सरकार उनकी अनदेखी कर रही है। प्रदर्शन करने वालों में अध्यक्ष प्रभा चौधरी, उपाध्यक्ष मीरा नेगी, सचिव रंजना कोटनाला, संगीता देवी, नीलम कुकरेती, रोशनी, शोभा बिष्ट, लक्ष्मी असवाल, अनीता रावत, उमा देवी, मीनाक्षी, ममता, सुमन, हेमलता रावत, लक्ष्मी जदली, गीता, कल्पना बिष्ट, आदि शामिल थे।