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कैट ने पीएम मोदी की चिंता को बताया वाजिब, 4.74 लाख करोड़ रुपये के खर्च पर 38 लाख शादियां

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नई दिल्ली, एजेंसी। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की चिंता को वाजिब बताया है। एक शादी में लगभग 80 फीसदी खर्च, वस्तुओं और सेवाओं पर किया जाता है। जब बाजार में यह पैसा प्रवाहित होता है, तो ऐसा पैसा लोगों के हाथों में वित्तीय तरलता प्रदान करता है। इससे अर्थव्यवस्था एवं भारतीय व्यापार को मदद मिलती है। अगर ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ होती है, तो वह सारा पैसा, दूसरे मुल्क में पहुंचता है। इससे स्वदेश में न तो कारोबार बढ़ता है, और न ही किसी को रोजगार मिलता है। देश से बाहर शादियां करना अब एक स्टेट्स सिंबल के रूप में देखा जा रहा है, जिस पर पुनर्विचार आवश्यक है। देश में 23 नवंबर से 15 दिसंबर के बीच लगभग 38 लाख शादियां होने की संभावना है।
38 लाख शादियों पर करीब 4.74 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे। शादी सीजन के चलते मेनलाइन रिटेल व्यापार में वस्तुओं और सेवाओं का खूब कारोबार होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान दो बातों पर फोकस किया था। एक तरफ उन्होंने ‘वोकल फॉर लोकल’ पर जोर दिया, तो वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री ने कुछ परिवारों द्वारा विदेश में शादी समारोह करने के चलन पर सवाल उठाया। पीएम मोदी ने इस तरह के आयोजनों को देश में ही करने की अपील की है। डेस्टिनेशन वेडिंग से देश का पैसा बाहर जाता है। शादियों के लिए खरीदारी करते समय, लोगों को सिर्फ भारत में बने उत्पादों को ही ज्यादा महत्व देना चाहिए। कुछ व्यापारिक संगठनों ने शादी के मौजूदा सीजन में करीब 5 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होने की उम्मीद जताई है। आजकल कुछ परिवारों द्वारा विदेश में पहुंचकर शादियां करने का नया माहौल बनाया जा रहा है। क्या यह बहुत जरूरी है? अगर लोग अपने देश की धरती पर शादी करेंगे तो देश का पैसा देश में ही रहेगा। ऐसी शादियों में देश के लोगों की कुछ न कुछ सेवा करने का मौका मिलेगा। गरीब लोग भी अपने बच्चों को आपकी शादी के बारे में बता सकेंगे।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने सोमवार को बताया, प्रधानमंत्री मोदी की चिंता बहुत वाजिब है। उनकी चिंताओं पर उस तबके को गंभीरता से विचार करना चाहिए, जिसने देश के बाहर शादी करने का विकल्प चुना है। देश से बाहर शादियां करना अब एक स्टेट्स सिंबल बनता जा रहा है। पीएम मोदी ने एक बहुत ही वैध मुद्दा उठाया है, जो निश्चित रूप से भारतीय रुपये को देश से बाहर खर्च करने पर रोक लगा देगा। इससे देश की अर्थव्यवस्था और ज्यादा मजबूत होगी। कोई भी शादी बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देती है। अगर अपने देश में शादी होती है, तो देश के लोगों को ही रोजगार मिलेगा। देश के बाहर होने वाली शादियां, काफी हद तक देश और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाती हैं। विदेशी धरती पर किए गए खर्च से देश को कोई लाभ नहीं होता है।
खंडेलवाल ने कहा, कैट की हालिया रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि 23 नवंबर से 15 दिसंबर तक 4.74 लाख करोड़ रुपये के खर्च के साथ लगभग 38 लाख शादियां आयोजित की जाएंगी। यह भारत के व्यापार और अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा वरदान है। इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह का सारा खर्च पीएम मोदी के वोकल फॉर लोकल के आह्वान पर किया जाएगा। ऐसे में प्रधानमंत्री का बयान अत्यंत सामयिक, तार्किक और देश के व्यापक हित में है। सभी लोगों को अक्षरश: पालन किया जाना आवश्यक है।
बतौर प्रवीण खंडेलवाल, शादियों का सीजन देवउठान एकादशी यानी 23 नवंबर से शुरू हुआ है। विशेषकर सनातन धर्म को मानने वाले समुदाय में ये शादियां 15 दिसंबर तक चलेंगी। सितारों की गणना के अनुसार, नवंबर में शादी की तारीखें 27, 28 व 29 हैं। इसी तरह दिसंबर के महीने में विवाह की तारीखें 3, 4, 7, 8, 9 और 15 हैं। इन दिनों को विवाह के लिए शुभ दिन बताया गया है। उसके बाद, मध्य जनवरी तक तारा डूब जाएगा। दूसरे चरण में जनवरी के मध्य से विवाह के लिए शुभ दिन शुरू होंगे। वह सीजन जुलाई, 2023 तक जारी रहेगा। ये आंकड़े, विभिन्न राज्यों के 30 शहरों, जिन्हें प्रमुख वितरण केंद्र के रूप में जाना जाता है, में सर्वे करने के बाद जारी किए गए हैं। इसके लिए प्रमुख व्यापारी संगठनों, वस्तुओं और सेवाओं, दोनों में विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से बात करने के बाद यह अनुमान लगाया गया है। देशभर में शादियों के इस सीजन में लगभग 38 लाख शादियां होने की संभावना है। इस आंकड़े में कई पहाड़ी एवं रिमोट एरिया शामिल नहीं हैं।
अगर दिल्ली की बात करें तो इस सीजन में 4 लाख से अधिक शादियां होने की उम्मीद है। इसमें लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होने की संभावना है। कैट द्वारा निकाले गए अनुमान के आधार पर, खंडेलवाल ने कहा, इस सीजन के दौरान लगभग 7 लाख शादियां 3 लाख रुपये के खर्च पर होंगी। लगभग 8 लाख शादियां ऐसी रहेंगी, जिनमें प्रत्येक पर 6 लाख रुपये खर्च होंगे। 10 लाख शादियां, 10 लाख रुपये प्रति शादी के खर्च के हिसाब से होंगी। 7 लाख शादियां ऐसी होंगी, जिन पर 15 लाख रुपये के हिसाब से खर्च किया जाएगा। पांच लाख शादियां, ऐसी होंगी, जिन पर 25 लाख रुपये के हिसाब से खर्च होगा। 50 हजार शादियां, 50 लाख रुपये के खर्च वाली होंगी। इसके अलावा 50 हजार शादियां, 1 करोड़ रुपये या उससे अधिक के खर्च के साथ होने की उम्मीद है।

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