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चीन के साथ तनातनी के बीच बिना किसी रुकावट तीसरे रास्ते ऐसे लद्दाख पहुंचेगी भारतीय सेना

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नई दिल्ली। अगले महीने 9़02 किलोमीटर रोहतांग ला सुरंग चालू होने के लिए तैयार है। लेकिन, राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों को लद्दाख के लिए एक और सामरिक लिहाज से सभी मौसम के अनुकूल रास्ते की तलाश है, जो हिमाचल के दरचा से जंस्कार घाटी में पदुम के माध्यम से नीमू को जोड़ता हो। नीमू लेह शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर है और पूर्वी लद्दाख और सियाचिन ग्लेशियर की रक्षा के लिए जिम्मेदार ग्प्ट कोर का मुख्यालय है।
एक तरफ जहां पाकिस्तान और उसके सदाबहार दोस्त की नजर सियाचिन और दौलत बेग ओल्डी पर है, वरिष्ठ सैन्य कमांडरों को लगता है कि लद्दाख को सड़क से जोड़ने का तीसरा रास्ता उच्च पहाड़ी इलाकों के साथ होना चाहिए और इसके लिए दरचा-पदुम-निमु ट्रैकिंग मार्ग को पक्की सड़क बनाया जाना चाहिए। लद्दाख तक जाने वाले अन्य दो मार्ग हैं जम्मू कश्मीर के जोजी ला और दूसरा मनाली-उप्शी-लेह के माध्यम से।
हालांकि, इस प्रोजेक्ट को रक्षा मंत्रालय की तरफ से दारचा-पदम मार्ग पर करीब साढे चार किलोमीटर शिन्गो ला सुरंग बनाकर दो साल में पूरा करना है, लेकिन नितिन गडकरी की अगुवाई में भूतल परिवहन मंत्रालय और जनरल वी़के़ सिंह पिछले दो महीने से इस नए मार्ग के लिए भारी दबाव बना रहे हैं। रक्षा मंत्रालय का यह प्रोजेक्ट पाइप लाइन में करीब एक दशक से पड़ा हुआ है। भूतल परिवहन मंत्रालय का यह प्रस्ताव है कि सुरंग निर्माण का काम उस कंपनी को दिया जाना चाहिए जिसने रोहतांग ला सुरंग बनाई है, लेकिन वह भी दो साल के भीतर होना चाहिए।
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सैन्य कमांडर के मुताबिक, सड़क को पूरे वर्ष खुले रखे जाने के लिए तीसरे मार्ग के निर्माण की आवश्यकता महसूस की गई थी, और इसके लिए रोहतांग में अटल सुरंग के अलावा मौजूदा मनाली-लेह मार्ग में चार और ऊंचे पहाड़ी दर्रों के नीचे सुरंग बनाने की जरूरत महसूस हुई।
ये चार दर्रे हैं- बरालचा ला (16500 फीट), नाकी ला (15547 फीट) लाचुंग ला (16616 फीट) और तांगलांग ला (17480 फीट) ये दर्रे रास्तों के लिए मध्य मई से लेकर मध्य नवंबर तक खोले जाते हैं और साल के बाकी समय बर्फ के नीचे दबे रहते हैं।
हालांकि, दारचा-पदुम-निमू मार्ग पर 16570 फीट शिंगो ला के नीचे दारचा और पदुम मार्क के बीच केवल आठ सुरंगों की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सड़क केवल सर्दियों में दो महीने के लिए बंद है। दारचा मनाली से 147 किलोमीटर दूर है और रोहतांग ला के जिस्पा और कीलोंग के बाद लेह तक राजमार्ग पर स्थित है।

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