क्वारंटाईन सेंटर बना लो या फिर बोर्ड परीक्षायें करा लो
देहरादून। सरकारी स्कूलों को क्वारंटाईन सेंटर बनाने के आदेश पर विवाद शुरू हो गया है। इसको लेकर अब बहस होने लगी है कि या तो इन स्कूलों को क्वारंटाईन सेंटर बना लो या फिर बोर्ड परीक्षायें करा लो। यह मुद़दा अब गर्म होने लगा है। इसको लेकर अभिभावकों से लेकर अध्यापकों तक ने विरोध शुरू कर दिया है। सरकारी स्कूलों को क्वारंटाइन सेंटर बनाने के आदेश से जिले के प्रिंसिपलों में नाराजगी है। उनका कहना है कि गर्मियों की छुट्टी के चलते ज्यादातर प्रिंसिपल स्कूल छोड़कर जा चुके हैं, लेकिन उन्हें भी वापस आने के निर्देश नहीं दिए गए। ऐसे में बिना उनके आए क्वारंटाइन सेंटर बनाना मुश्किल है। इसके अलावा ये भी बात उठ रही है कि अगर क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए तो 12 वीं की बोर्ड परीक्षा में भी दिक्कत हो सकती है। क्योंकि परिजन इसके लिए तैयार नहीं होंगे। मुख्य शिक्षा अधिकारी आशा रानी पैन्यूली ने शुक्रवार को सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को सभी सरकारी स्कूलों को जरूरत के हिसाब से क्वारंटाइन सेंटर बनाने के निर्देश दिए थे। उन्हें प्रिंसिपलों को ग्राम प्रधानों से इसमें सहयोग के लिए निर्देशित करने को कहा गया था। प्रिंसिपलों का कहना है कि सरकार पहले ही ग्रीष्मकालीन अवकाश दे चुकी है। इससे ज्यादातर प्रिंसिपल अपने अपने स्कूल छोड़ चुके हैं। सेंटर बनाने से पहले उन्हें वापस स्कूल बुलाना होगा, लेकिन अब तक विभाग ने ऐसा कोई आदेश नहीं किया। ये भी कहना है कि सरकार बोर्ड परीक्षाएं कराने की सोच रही है। ऐसे में अगर स्कूल क्वारंटाइन सेंटर बनेंगे तो परीक्षाएं कहां देंगे। क्योंकि कोरोना अभी लंबा चलने वाला है। ऐसे में सेंटर कम से कम दो माह तक रहेंगे। उसके बाद भी परिजन बच्चों को भेजने में कतराएंगे।
ये काम जनहित में है तो हमें करना ही है, लेकिन अभी विभाग की ओर से कोई स्पष्ट निर्देश नहीं आए। सभी प्रिंसिपल स्कूल छोड़ चुके हैं। उन्हें वापस भी बुलाना होगा। सेंटर बनने से परीक्षाएं भी लेट होंगी या अन्य दिक्कतें आएंगी। इस पर विभाग को पूरी प्लानिंग करनी चाहिए। -रामबाबू विमल, जिलाध्यक्ष प्रिंसिपल एसोसिएशन