कोटद्वार-पौड़ी

चाई ग्रामोत्सव में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मोहा मन 

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जयन्त प्रतिनिधि।

कोटद्वार: पहाड़ में गांव बचाने का अनूठा अभियान चाई ग्राम उत्सव पूरी रंगत में नजर आया। दूसरे दिन ग्राम विकास गोष्टी एवं कौशल विकास पर कार्यशाला आयोजित की गई। सांय काल संस्कृति विभाग उत्तराखंड की शैलजा टीम ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया, जिस पर दर्शक देर रात तक थिरकते रहे। गढ़वाली कविता पाठ के जरिए कवियों ने उत्तराखंड की आंचलिक संस्कृति की विविध रंगों को उकेरा

विकासखंड जहरीखाल के ग्राम चाई में ग्राम उत्सव के दूसरे दिन आयोजित ग्राम विकास गोष्ठी का मुख्य अतिथि एकेशवर के ब्लॉक प्रमुख नीरज पांथरी ने दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि गांव चाई आज अपनी अनूठी पहल की वजह से पूरे राज्य वह देश के लिए रोल मॉडल बन गया है। उन्होंने कहा कि गांव के विकास का खाका गांव में ही बैठ कर तैयार किया जाना चाहिए और इसमें स्थानीय ग्रामीणों की प्रभावी भूमिका होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गांव स्वरोजगार एवं स्वावलंबन की बड़े केंद्र हो सकते हैं इस दिशा में गहराई से सोचने की जरूरत है।  विशिष्ट अतिथि साहित्यकार व समाजसेवी जगमोहन रावत ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र के गांव में बुनियादी सुविधाएं जुटा कर रिवर्स पलायन की दिशा में ठोस प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने चाई ग्राम उत्सव को एक सकारात्मक पहल बताया। और कहा कि कई गांव में इसके सुखद परिणाम अब दिखाई देने लगे हैं। साहित्यकार दिनेश ध्यानी ने कहा कि ग्राम चाई पूरे राज्य के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जिसने बताया है कि बिना किसी सरकारी सहायता के केवल जनभागीदारी से पहाड़ में कैसे गांव को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रवासी ग्रामवासी सभी का ग्रामोत्थान की दिशा में बढ़ाया गया कदम असरदार व ऐतिहासिक है, ऐसे प्रयास लोक परंपरा को बचाने की दिशा में भी प्रभावकारी सिद्ध होंगे। अध्यक्षता करते हुऐ जगमोहन बूढ़ाकोटी ने कहा कि चाई ग्रामवासी अपनी व्यापक सोच के बूते ग्राम विकास के कार्यों को आगे बढ़ा रहे हैं। इस अवसर पर बच्चों एवं युवाओं के कौशल विकास पर कार्यशाला आयोजित की गई, जिसे देवेंद्र बुड़ाकोटी ने संबोधित किया। इस मौके पर डॉक्टर पदमेश बुड़ाकोटी,  सुशील बुड़ाकोटी, अशोक बुड़ाकोटी, संगीत बुड़ाकोटी, महेंद्र बुड़ाकोटी, विकास बुड़ाकोटी, राजेंद्र बुड़ाकोटी, शेखर बुड़ाकोटी ,संतोष बुड़ाकोटी, दीपक बुडाकोटी आदि मौजूद रहे। समारोह के द्वितीय सत्र में गढ़वाली कविता पाठ का आयोजन किया गया। जिसमें जयपाल सिंह रावत, जगमोहन रावत, दिनेश ध्यानी, सुशील बुड़ाकोटी आदि ने गढ़वाली जनजीवन वह परंपरा पर अपनी मार्मिक वह हास्य पर आधारित रचनाएं प्रस्तुत की। सांस्कृतिक संध्या में संस्कृति विभाग उत्तराखंड के तत्वावधान में शैलजा पौडी टीम ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इस ग्रुप के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत हरिया, चौपला, बाजूबंद, खुदेड़, घसियारी कुमाऊनी व जौनसारी आदि लोकगीतों पर दर्शक देर रात तक थिरकते रहे।

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