उत्तराखंड

फैक्ट्री बंदी को अवैध घोषित करने की मांग को मजदूरों का श्रम आयुक्त कार्यालय में प्रर्दशन

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हल्द्वानी। सितारगंज सिडकुल में हुई कंपनी की बंदी को अवैध घोषित करने की मांग के लिए मजदूरों ने श्रम आयुक्त कार्यालय में प्रर्दशन किया। श्रम विभाग पर आरोप लगाया गया कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी तालाबंदी को अवैध घोषित नहीं किया जा रहा है। जिससे मजदूरों के सामने रोजगार का संकट खडा हो गया है। शुक्रवार को जायडस वैलनेस इम्पलाइज यूनियन ने बंदी को अवैध घोषित करने की मांग के लिए धरना-प्रदर्शन किया। सभा में यूनियन के अध्यक्ष विकास सती ने कहा कि तालाबंदी से मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। कंपनी के द्वारा बिना शासन की अनुमति के काम बंद कर दिया गया है। उच्च न्यायालय ने बंदी को अवैध घोषित कर श्रम आयुक्त को कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। आरोप लगाया कि श्रम विभाग के द्वारा अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। सभा में वक्ताओं ने कहा कि बंदी होने से मजदूर को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आरोप है कि श्रम विभाग मजदूरों की संख्या को कम बता कर गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। जब की उच्च न्यायालय ने कंपनी में 1200 मजदूरों के काम करने की बात की माना है। न्यायालय ने 30 दिन के भीतर तालाबंदी को अवैध घोषित करने के आदेश दिया है। धरने के समर्थन में एक्टू के महामंत्री केके बोरा ने कहा कि सिडकुल में श्रम कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है। नौजवानों से दस से बारह साल काम करा कर उन्हें बेरोजगार कर दिया जा रहा है। धरने में ललित मटियानी, दीपक नयाल, दिलीप सिंह, धर्मेन्द्र सिंह, किशोर पांडे, चंदन बोरा, बच्ची सिंह, रविंद्र सिंह, मोहित प्रधान, खीम सिंह, उमेश गोला, प्रदीप कुमार, हरीश रावत, मंगल सिंह सहित दर्जनों मजदूर मौजूद रहे।

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