उत्तराखंड

सिद्घपीठ सुरकंडा मंदिर में ट्रली के जरिये पहुंचेंगे श्रद्घालु

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

नई टिहरी। चंबा-मसूरी सड़क मार्ग पर कद्दूखाल कस्बे के ठीक ऊपर पहाड़ की चोटी पर स्थित सिद्घपीठ सुरकंडा मंदिर में श्रद्घालु जल्द ही ट्रली के जरिये पहुंच सकेंगे। यहां फरवरी के अंत तक ट्रली संचालन शुरू होने की उम्मीद है। इससे दिव्यांग और वृद्घ लोग भी आसानी से मां सुरकंडा के दर्शन कर सकेंगे।
सिद्घपीठ सुरकंडा माता मंदिर समुद्रतल से करीब 2750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर में पहुंचने के लिये श्रद्घालुओं को कद्दूखाल कस्बे से करीब डेढ़ किमी खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है, जो हर किसी के लिये आसान नहीं है। श्रद्घालुओं की सुविधा के मद्देनजर वर्ष 2016 में कांग्रेस सरकार में तत्कालीन पर्यटन मंत्री दिनेश धनै ने सुरकंडा रोपवे का शिलन्यास किया था। करीब 32 करोड़ की लागत से बनने वाले सुरकंडा रोपवे का कार्य चार साल में पूरा होना था, लेकिन बजट के आभाव और कोरोना काल के चलते काम समय पर पूरा नहीं हो पाया। सुरकंडा रोपवे का निर्माण कार्य एक निजी कंपनी को दिया गया है। रोपवे का संचलान शुरू होने के बाद मंदिर तक पहुंचने में श्रद्घालुओं को करीब 525 मीटर की दूरी तय करने में आठ से दस मिनट का समय लगेगा।
श्रद्घालुओं की संख्या में होगी बढ़ोतरी
रोपवे का संचालन शुरू होने से सुरकंडा मंदिर आने वाले श्रद्घालुओं की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी। इससे क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। चंबा-मसूरी सड़क पर धनोल्टी, कांणाताल, ठागधार, कोडिया, बटवाधार सहित कई पर्यटन स्थल हैं, जहां सालभर पर्यटकों की आवाजाही बनी रहती है। इससे स्थानीय लोगों का कारोबार भी बढ़ेगा।
ट्रली की कमाई का हिस्सा पर्यटन विभाग को भी मिलेगा
सुरकंडा रोपवे के संचालन करने के लिये छह टावर बनाये गये हैं, जिनमें ट्रलियों का संचालन होगा। एक ट्रली में छह लोग बैठ सकेंगे। अनुबंध के आधार पर रोपवे का संचालन 30 वर्षों तक रोपवे निर्माण का कार्य करने वाली कंपनी करेगी। इससे होने वाली कमाई का करीब 20 प्रतिशत हिस्सा कंपनी पर्यटन विभाग को देगी।
क्या कहते हैं, जिला पयर्टन अधिकारी
सुरकंडा रोपवे बनकर तैयार है। इसका ट्रायल भी पूरा हो चुका है। जल्द ट्रली संचालन की अनुमित मिलने की उम्मीद है। संभवतरू फरवरी के अंत तक ट्रलियों को श्रद्घालुओं के लिये शुरू कर दिया जाएगा। एक समय में तीन-तीन ट्रलियों का संचालन किया जाएगा।
– अतुल भंडारी, पर्यटन, अधिकारी, टिहरी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!