टमाटर का उचित मूल्य न मिलने पर किसानों में मायूसी
उत्तरकाशी। रवांई घाटी के कमल व रामा सिंराई क्षेत्र के दर्जनों गांव में बागवानी, पारम्परिक खेती एवं सब्जी उत्पादन के साथ सैकड़ों किसान नकदी फसलों का उत्पादन कर रहे हैं। जो यहां के काश्तकारों का आजीविका का मुख्य साधन भी है। लेकिन दिल्ली-देहरादून की मंडी में टमाटर के भाव कम होने से ग्रामीण किसानों के चेहरे पर मायूसी छा गई। मंडी में टमाटर के सही रेट नहीं मिलने से किसानों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। बता दें कि जिले की रवांई घाटी नगदी फसलों के लिए अपने आप में एक विशिष्ट पहचान रखती है। घाटी के रामा व कमल सिंराई के दर्जनों गांवों में बागवानी,पारम्परिक खेती व सब्जी उत्पादन के साथ मटर, टमाटर की अत्यधिक मात्रा में खेती की जाती है। इन दिनों क्षेत्र में टमाटर की तुड़ान का कार्य चल रहा है। लेकिन मंडियो में काश्तकारों को उचित दाम नही मिल पा रहा है। पहले ओलावृष्टि से क्षति होने और अब बची हुई फसल का भी उचित दाम न मिल पाने से क्षेत्र के किसानों में खासी मायूसी व निराशा है। क्षेत्र के किसान फेडरेशन अध्यक्ष विजेन्द्र सिंह राणा,टमाटर उत्पादक प्रेम सिंह बर्तवाल,उपेंद्र नेगी,रमेश अस्वासल आदि लोगों ने कहा कि जब टमाटर की पौध लगाने का समय था, उस समय क्षेत्र में कई दिन भारी ओलावृष्टि होने से पौधे ही खराब हो गए थे। लेकिन अब जो कुछ बचे हुए टमाटर हैं उनकी तुड़ान का कार्य चल रहा है, परंतु मंडियों में उचित भाव ही नही मिल रहा है। वंही टमाटर उत्पादक राजेन्द्र सिंह रावत व श्यालिक राम नौटियाल ने कहा कि उन्होंने टमाटर की खेती के लिए खाद और बीज खरीदने के लिए बैंक व सोसाइटी से ऋण ले रखा है पर टमाटर के उचित दाम न मिलने से बैकों का ऋण तो दूर परिवार का भरण पोषण करने की भी चिंता भी सताने लगी है। जिसके लिए उन्होंने प्रदेश सरकार से टमाटर,मटर आदि सभी नगदी फसलों का समर्थन मूल्य निर्धारित करने, किसानों के कृषि ऋण माफ करने तथा पहाड़ के छोटे जोत के किसानों को प्रोत्साहन देने की मांग की है।