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फ्रंटलाइन कोरोना वर्कर्स नहीं जज और वकील, सरकार ने विशेष मानने से किया इनकार

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नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि कोविड टीकाकरण के लिए वह न्यायाधीशों, अदालती स्टाफ और वकीलों को अलग या विशेष श्रेणी में नहीं रख सकती है। उल्लेखनीय है कि अदालत ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह जजों, वकीलों और 45 वर्ष से कम आयु के न्यायालय कर्मियों को फ्रंट लाइन कोरोना वर्कर्स मानते हुए प्राथमिकता में कोविड के टीके उपलब्ध कराए। सरकार का कहना है कि कोरोना टीके का उत्पादन बेहद प्रतिकूल परिस्थितियों में किया जा रहा है। अधोसंरचना और मानव संसाधन की कमी के बावजूद इसका वृहद पैमाने पर उत्पादन किया जा रहा है और महामारी के मद्देनजर विश्व को निर्यात भी किया जा रहा है।
2016 में की गई ऐतिहासिक नोटबंदी के बाद 500 रुपये और दो हजार रुपये के नए नोट शुरू किए गए थे। तब चलन में रहे 500 रुपये व एक हजार रुपये के नोटों का कालाधन बढ़ाने वाले बताकर बंद किया गया था, लेकिन 1000 रुपये का नोट बंद कर 2000 का शुरू करने पर सवाल उठे थे। अब चर्चा है कि दो हजार के नोट भी बंद किए जा सकते हैं। इस आशंका को इसलिए भी बल मिल रहा है, क्योंकि सरकार ने संसद में बताया है कि दो साल से 2000 का एक भी नया नोट नहीं छापा गया है।
वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को संसद को एक लिखित जवाब में बताया कि 30 मार्च 2018 को 2000 रुपये के 336़2 करोड़ नोट चलन में थे, जबकि 26 फरवरी 2021 को इनकी संख्या घटकर 249़9 करोड़ रह गई। बैंक नोटों की छपाई का फैसला जनता की लेन-देन की मांग को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक की सलाह पर लिया जाता है। 2019-20 और 2020-21 में 2000 रुपये के नोटों की छपाई का अर्डर नहीं दिया गया।
इससे पहले रिजर्व बैंक ने 2019 में बताया था कि वित्त वर्ष 2016-17 में 2000 रुपये के 354 करोड़ नोटों की छपाई की गई थी। इसके बाद 2017-18 में केवल 11़15 करोड़ नोटों की छपाई हुई। 2018-19 में 4़669 करोड़ नोट छापे गए तो अप्रैल 2019 के बाद से एक भी नोट नहीं छापा गया।
वैसे 1000 रुपये का नोट बंद कर 2000 रुपये का शुरू करने का सरकार का फैसला अर्थविदों की नजर में हमेशा खटकता रहा है। उनका कहना था कि कालेधन के प्रसार को रोकने के लिए नोटबंदी की गई तो इतनी बड़ी राशि का नोट चालू करना कैसे उचित हो सकता है? अब माना जा रहा है कि सरकार दो हजार रुपये के नोट को भी बंद कर सकती है, ताकि कालेधन पर रोक लगाई जा सके।
बता दें, 8 नवंबर 2016 को पीएम मोदी ने नोटबंदी की ऐतिहासिक घोषणा की थी। तब 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर किया गया था। इसके बाद सरकार ने 500 व 2000 रुपये के नोट जारी किए थे।

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