बिग ब्रेकिंग

गर्मी शुरू होते ही बच्चे वायरल बुखार से पीड़ित

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार।
पिछले एक सप्ताह से हो रही मौसम में उतार चढ़ाव ने बच्चों को बीमार करना शुरू कर दिया है। मौसम के करवट बदलते ही बच्चे वायरल बुखार से पीड़ित हो गये है। स्थिति यह है कि पिछले एक सप्ताह में बढ़ती गर्मी से बच्चे बुखार, खांसी, जुकाम, लूज मोशन (पतले दश्त) और उल्टी से परेशान नजर आ रहे है। राजकीय बेस अस्पताल में प्रतिदिन वायरल से पीड़ित 60-70 बच्चे उपचार कराने के लिए आ रहे है।
पिछले एक सप्ताह से दिन में दोपहर के समय तापमान में बढ़ रहा है। जबकि रात के समय हल्की सी ठंडक है। इस मौसम का सबसे ज्यादा असर बच्चों की सेहत पर पड़ रहा है। बच्चों को वायरल बुखार ने चपेट में ले लिया है। स्थानीय राजकीय बेस चिकित्सालय सहित निजी अस्पतालों में सैकड़ों बच्चे प्रतिदिन अपना उपचार कराने के लिए आ रहे है। चिकित्सकों का कहना है कि बुखार आने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। वरिष्ठ बालरोग विशेषज्ञ डा. हरेन्द्र कुमार का कहना है मौसम में अचानक हो रहे बदलाव से वायरल जनित बीमारियों के फैलने की संभावना बढ़ जाती है। लोगों को साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए, साथ ही खानपान के प्रति भी सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि पिछले एक सप्ताह से प्रतिदिन सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार, लूज मोशन और उल्टी से पीड़ित करीब 60-70 बच्चे आ रहे है। उन्होंने बच्चों को उबला हुआ पानी नियमित रूप से पिलाने, फल धोकर खाने, स्वच्छ खाना खाने, सफाई का विशेष ध्यान रखने और गुनगुने पाने के गरारे करने की सलाह दी है। उन्होंने भीड़-भाड़ वाली जगह में जाने की अपील करते हुए कहा कि सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार, लूज मोशन और उल्टी की शिकायत होने पर तुरन्त चिकित्सक से परामर्श ले। 

ऐसे बरतें सावधानी
कोटद्वार।
डॉक्टर कहते हैं कि ऐसे मौसम में अगर कुछ सावधानियां बरती जाएं तो बीमारियों से बचा जा सकता है। बदलते हुए मौसम में बच्चों को हमेशा फुल स्लीव कपड़े ही पहनाएं। इसके अलावा ऐसे में अपने बच्चों को अनहेल्दी फूड से दूर रखें। इस बदलते हुए मौसम में अपना और अपने परिवार का ख्याल रखना काफी जरूरी है, क्योंकि यही वह टाइम है जब अप्रैल का महीना शुरू होते ही ठंड लगभग खत्म होती चली जाती है और गर्मी का मौसम जोर पकड़ने लगता है। इस बदलते मौसम की मार सबसे ज्यादा बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ती है, क्योंकि रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के चलते इनमें इंफ्केशन होने का खतरा ज्यादा होता है। बच्चों को ऐसे मौसम में निमोनिया, वायरल और सर्दी जुकाम जैसी बीमारियों का सबसे ज्यादा खतरा होता है। वहीं बुजुर्गों को गले में तकलीफ और वायरल बुखार आदि का खतरा होता है।

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