मोरबी पुल हादसे के बाद अलर्ट पर सरकार, प्रदेश के सभी पुलों का सेफ्टी अडिट करने के निर्देश
देहरादून। गुजरात के मोरबी हादसे के बाद आखिरकार पुष्कर सिंह धामी सरकार भी नींद टूट गई। उत्तराखंड में सभी पुलों का सेफ्टी अडिट किया जाएगा। इसको लेकर सम्बन्धित शासनादेश प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग आरके सुधांशु द्वारा जारी किया गया है। इस सम्बन्ध में पूर्व में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिये गये थे।
प्रमुख सचिव सुधांशु द्वारा जारी शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि उत्तराखंड में सेतुओं का उचित अनुरक्षण न होने, मानकानुसार तय समय पर सेफ्टी अडिट की निर्धारित समय में व्यवस्था न होने, भार क्षमता से अधिक यातायात संचालन होने, सेतुओं के समीप साईनेजेज न होने तथा सेतुओं की अत्यधिक समयावधि (निर्माण की) होने से देश एवं प्रदेश के कई महत्वपूर्ण सेतु दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं, जिसमें जान-माल के नुकसान के साथ-साथ आवागमन बाधित हो रहा है।
उन्होंने प्रमुख अभियन्ता लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिये है कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार इस सम्बन्ध में तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित करते हुये उत्तराखंड में अवस्थित सेतुओं से सम्बन्धित अद्यतन सूचना प्रत्येक दशा में 03 सप्ताह के अन्दर शासन में उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि सेतुओं के सम्बन्ध में लोक निर्माण विभाग के जिलास्तरीय अधिकारियों द्वारा सम्बन्धित जनपद के जिला प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित करें।
ऐसे पुल जिनको निर्मित हुये कई वर्ष हो चुके हैं, उनमें भार क्षमता के आधार पर आवागमन सुनिश्चित किया जाय। प्रत्येक सेतु का सेफ्टी अडिट करते हुये आवश्यकतानुसार अनुरक्षण आदि का प्रस्ताव तत्काल शासन को उपलब्ध कराया जाए। सेतुओं के समीप साईनेजेज की उचित व्यवस्था की जाए। किसी भी प्रकार की दुर्घटना की स्थिति में सम्बन्धित अधिशासी अभियन्ता पूर्ण रूप से जिम्मेदार होंगे।
उत्तराखंड में जर्जर पुल की वजह से कोई दुर्घटना हुई तो इसके लिए लोनिवि के अधिशासी अभियंता जिम्मेदार होंगे। लोनिवि के प्रमुख सचिव ने विभाग के एचओडी को इस संदर्भ में निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही राज्य में खतरे वाले पुलों को लेकर तीन सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है।
लोनिवि के प्रमुख सचिव आरके सुधांशु की ओर से प्रमुख अभियंता को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि विभाग की ओर से पुलों का सेफ्टी अडिट कराया गया था। इसके साथ ही पूर्व में जिला प्रशासन के साथ समन्वय बैठक कर पुलों पर आवाजाही को लेकर निर्णय लेने के भी निर्देश दिए गए थे।
ऐसे में खतरनाक पुलों पर दुर्घटना रोकने के लिए जर्जर पुलों पर आवाजाही न कराई जाए। यदि किसी जर्जर पुल की वजह से दुर्घटना होती है जो उसके लिए संबधित डिविजन के अधिशासी अभियंता जिम्मेदार होंगे। विदित है कि राज्य में बड़ी संख्या में पुल जर्जर चल रहे हैं।
सरकार ने इन पुलों को बदलने के निर्देश दिए हैं लेकिन बजट और कई अन्य वजहों से सभी पुलों को अभी तक बदला नहीं जा सका है। हाल में गुजरात में हुई पुल दुर्घटना के बाद अब सरकार ने प्रमुख अभियंता को निर्देश दिए हैं कि पुलों के संदर्भ में स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय बनाकर काम किया जाए। इसके साथ ही जर्जर पुलों के संदर्भ में तीन सप्ताह में रिपोर्ट मांगी गई है।