कोटद्वार-पौड़ी

आंदोलनकारियों के आरक्षण पर लापरवाही दिखा रही सरकार 

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आंदोलनकारी अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष रमन शाह ने की पत्रकारों से वार्ता

जयन्त प्रतिनिधि।

कोटद्वार:

आंदोलनकारी अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष रमन शाह ने प्रदेश सरकार पर राज्य आंदोलनकारियों को दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने के नाम पर लापरवाही का आरोप लगाया है। कहा कि हकीकत यह है कि वर्ष 2015 में विधानसभा में पास आरक्षण का एक्ट अब भी राजभवन की फाइलों में धूल खा रहा है। यदि प्रदेश सरकार आंदोलनकारियों के आरक्षण को लेकर गंभीर होती तो फाइल में राज्यपाल के हस्ताक्षर हो चुके होते। वहीं, प्रदेश सरकार ने इस संबंध में भी सुप्रीम कोर्ट में कोई अपील दायर नहीं की। उन्होंने सरकार से आरक्षण के मामले में आंदोलनकारियों के साथ न्यायालय में खड़े होने की मांग की है।

पदमपुर क्षेत्र में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान अधिवक्ता रमन शाह ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में हाईकोर्ट ने अंदोलनकारियों के आरक्षण को समाप्त कर दिया था। इसके बाद सरकार को चाहिए था कि वह तीस दिन के भीतर सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करती। लेकिन, सरकार ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। बल्कि राज्य आंदोलनकारियों को खुद ही सुप्रीम कोर्ट में अपनी अपील दायर करनी पड़ी। कहा कि कुछ माह पूर्व सरकार ने आंदोलनकारियों को गुमराह करने के लिए दोबारा हाईकोर्ट में ही अपील दायर कर दी। जबकि, हाईकोर्ट तो पूर्व में ही अपना फैसला सुना चुका है। उत्तराखंड राज्य सेनानी मोर्चा के अध्यक्ष महेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सरकार ने मृतक आंदोलनकारियों के आश्रितों को पेंशन लाभ देने की घोषणा की थी, लेकिन पूरे दस्तावेज जमा करने के बाद भी अब तक आश्रितों को पेंशन का लाभ नहीं मिल पा रह है। आंदोलनकारियों के चिन्हिकरण को लेकर भी सरकार लापरवाही बरत रही है। आंदोलनकारियों ने जल्द समस्याओं के निराकरण के साथ ही प्रदेश सरकार से आरक्षण की लड़ाई में उनके साथ सुप्रीम कोर्ट में खड़े होने की मांग की है। इस मौके पर गुलाब सिंह रावत, राकेश लखेड़ा, वीरेंद्र सिंह रावत, हयात सिंह आदि मौजूद रहे।

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