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बुक फ्लैट तय समय पर नहीं देने पर बिल्घ्डर को लौटानी होगी ब्याज सहित रकम

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नई दिल्ली, एजेंसी। बुक फ्लैट समय पर न देने पर बिल्डर को ब्याज सहित रकम वापस करनी होगी। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (छब्क्त्ब्) ने यमुना एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथारिटी एरिया में जेपी स्पोर्टस ग्रीन सिटी में स्थित कोव ग्रेटर नोएडा प्रोजेक्ट में बुक फ्लैट समय पर ना देने पर जेपी बिल्डर को ब्याज सहित पैसा वापस करने का आदेश दिया है। आयोग ने 71 होम बायर्स की ओर से दाखिल जेपी कोव बायर्स एसोसिएशन की शिकायत स्वीकार करते हुए बिल्डर जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड को नौ प्रतिशत के साधारण ब्याज के साथ जमा कराई गई सारी रकम होम बायर्स को छह सप्ताह में लौटाने का आदेश दिया है। इसके अलावा बिल्डर इन शिकायतकर्ता सभी होम बायर्स को 50,000-50,000 रुपये मुआवजा भी देगा।
तय समय में भुगतान नहीं करने पर बिल्डर को रकम पर 10 प्रतिशत की दर से ब्याज देना होगा। ये आदेश एनसीडीआरसी के चेयरपर्सन जस्टिस आरके अग्रवाल ने गत 30 मई को जेपी कोव बायर्स एसोसिएशन की उपभोक्ता कानून के तहत दाखिल शिकायत पर दिए। एसोसिएशन ने 71 फ्लैट बायर्स की ओर से याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि उन लोगों ने 2011-2012 में फ्लैट बुक कराए थे और फ्लैट की 90 – 95 प्रतिशत कीमत भी अदा कर दी थी इसके बावजूद उन्हें फ्लैट नहीं मिले।
जबकि उन्हें बिल्डर द्वारा बताई गई अवधि के मुताबिक 42 महीने में फ्लैट मिल जाने चाहिए थे। जिस परियोजना में उन लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे वह उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्घ नगर जिले में स्थित जेपी ग्रीन स्पोघ्र्ट्स सिटी का द कोव प्रोजेक्ट है। एसोसिएशन ने बिल्डर पर सेवा में कमी का आरोप लगाते हुए या तो देरी के मुआवजे सहित फ्लैट या ब्याज सहित पूरी रकम और मुआवजा दिलाने की मांग की थी।
शिकायत का विरोध करते हुए बिल्डर की ओर से कहा गया था कि राष्ट्रीय आयोग को सुनवाई का अधिकार नहीं है, क्योंकि प्रत्येक फ्लैट की कीमत 60 लाख रुपये से कम है। यह भी कहा गया कि कुछ होम बायर्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है और मामला वहां लंबित है, जिसमें कोर्ट ने न्यायमित्र वकील पवनश्री अग्रवाल को होम बायर्स का एक पोर्टल बनाने को कहा है। इसके अलावा कुछ बायर्स डिफाल्टर हैं और वे अपनी गलतियों के लिए मुआवजा नहीं मांग सकते।
बिल्डर ने कहा था कि आपसी समझौते से मामला सुलझाने के लिए मध्यस्थता के लिए भेजा जाए। फ्लैट देने में देरी के संबंध में बिल्डर की दलील थी कि चीजें उसके वश में नहीं थीं। मजदूर, खुदाई पर रोक और ग्रामीणों के विरोध के अलावा एनजीटी ने भी निर्माण के लिए भूजल निकालने पर रोक लगा दी थी। इन सब चीजों को देखते हुए निर्माण की समयसीमा बढ़ाई जानी चाहिए। उसे सेवा में कमी और अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस का जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि निर्माण कार्य चल रहा है। बिल्डर ने विभिन्न फोरम में मामला लंबित होने और कुछ फ्लैट बायर्स के साथ समझौता हो जाने की भी बात कही थी।
आयोग ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि इसी कोव प्रोजेक्ट के बारे में गत मार्च में ममता मौर्या के केस में आयोग ने फैसला दिया था और उस मामले में भी बिल्डर ने यही सब दलीलें दी थीं और आयोग ने उन्हें खारिज किया था। आयोग ने इस मामले में भी ममता मौर्या के फैसले को आधार बनाते हुए जेपी बिल्डर को ब्याज सहित पैसा लौटाने का आदेश दिया है।
आयोग ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि जिन होम बायर्स ने बिल्डर के साथ समझौता करके मामला सुलझा लिया है वे इस आदेश का लाभ लेने के अधिकारी नहीं होगे। साथ ही जिन लोगों ने वित्तीय संस्थानों से होम लोन लिया है वे मिलने वाली रकम से पहले होम लोन का भुगतान करेंगे उसके बाद स्वयं के लिए उसका उपयोग करेंगे।

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