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जिस मामले में गई आजम की विधायिकी, उसमें हुए बरी, क्या बहाल होगी सदस्यता?

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नई दिल्ली, एजेंसी। सपा नेजा आजम खां को नफरती भाषण देने के आरोप से बरी कर दिया गया है। इस मामले में एमपी-एमएलए (मजिस्ट्रेट ट्रायल) की कोर्ट ने 27 अक्तूबर 2022 को आजम खां को तीन साल सजा सुनाई थी, जिसके बाद उनकी विधायिकी चली गई थी।
अब सवाल उठ रहा है की आजम का अब क्या होगा? बरी होने के बाद क्या आजम की विधायिकी बहाल हो जायेगी? जो मौजूदा विधायक हैं उनका क्या? आइए समझते है…
नफरती भाषण मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा आजम खां को तीन साल सजा सुनाए जाने के फैसले के खिलाफ उन्होंने सेशन कोर्ट में अपील की थी। बुधवार को मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद आजम खां को नफरती भाषण देने के आरोप से मुक्त कर दिया। कोर्ट ने मजिस्ट्रेट ट्रायल की कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया। कोर्ट ने इस मामले में 70 पेज में अपना फैसला सुनाया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले का उल्लेख भी किया गया है।
सेशन कोर्ट के इस फैसले से आजम खां को एक राहत मिली है, लेकिन उनकी विधायिकी अभी भी बहाल नहीं होगी। क्योंकि 15 साल पुराने छजलैट प्रकरण के मुकदमे में भी मुरादाबाद की कोर्ट ने आजम खां और उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम को दो-दो साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद अब्दुल्ला आजम की विधायिकी चली गई थी।
आजम खान को अभी नफरती भाषण मामले में राहत मिली है। एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा खान को तीन साल सजा सुनाए जाने के फैसले के खिलाफ उन्होंने सेशन कोर्ट में अपील की थी। इसी तरह वह छजलैट प्रकरण में भी मुरादाबाद कोर्ट की दो साल की सजा के खिलाफ ऊंची अदालत में जा सकते हैं। यहां आजम खान को दो प्रकार की राहत मिल सकती है; पहला या तो आजम खान की सजा को दो साल से घटा दिया जाए और दूसरा या तो छजलैट केस में बड़ी अदालत मुरादाबाद कोर्ट के सजा के फैसले को ही रद्द कर दे।
यदि नफरती भाषण और छजलैट प्रकरण दोनों में सपा नेता आजम खान को राहत मिल जाती है तो वह तुरंत चुनाव लड़ने के लिए योग्य हो जाएंगे। अभी की परिस्थिति में आजम खान दो साल की सजा पूरी होने के छह साल बाद ही चुनाव लड़ सकेंगे। इस नियम का उल्लेख जनप्रतिनिधि कानून में किया गया है।
भले ही दोनों मामलों में सपा नेता आजम खान को राहत मिल जाती है तब भी उनकी विधायिकी नहीं बहाल होगी। इस मामले पर इलाहबाद हाईकोर्ट के वकील सिद्धार्थ शंकर दुबे कहते हैं, ‘आजम खान को राहत सजा के मामले में मिली है। इसलिए वह दोबारा चुनाव लड़ने के लिए योग्य हो गए हैं।’ आगे उन्होंने कहा, ‘रामपुर सीट पर चुनाव हो गए हैं इसलिए अब वहां कुछ नहीं हो सकता। इसके अलावा अन्य किसी सीट से चुनाव लड़ पाएंगे।’
दोनों मामलों में राहत मिलने के बाद आजम खान अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में उतर सकते हैं। इसके अलावा 2027 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी आजम खान किसी भी सीट से दावा ठोक सकते हैं। इसी परिस्थिति में यदि सपा आजम खान को इन दो चुनावों से पहले विधानसभा या लोकसभा भेजना चाहे तो उनको किसी मौजूदा विधायक या सांसद का इस्तीफा दिलाकर उपचुनाव में भी उतार सकती है।
कब गई थी आजम खान की विधायिकी?
27 अक्तूबर 2022 को सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां की विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई थी। नफरती भाषण मामले में रामपुर की एमपी/एमएलए कोर्ट द्वारा आजम को दोषी ठहराते हुए तीन साल की कैद और छह हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाए जाने के बाद विधानसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता समाप्त किए जाने की अधिसूचना जारी कर दी। इसके बाद रामपुर विधानसभा सीट रिक्त घोषित करते हुए निर्वाचन आयोग को इसकी सूचना भेज दी गई थी। निर्वाचन आयोग ने इस सीट पर पिछले साल दिसंबर में उपचुनाव कराया। बीजेपी के आकाश सक्सेना ने समाजवादी पार्टी के आसिफ राजा को हरा कर इस सीट पर कब्जा कर लिया।

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