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जल्द आएगी भारत की नई अंतरिक्ष नीति

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नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद ने कहा कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में निजी भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार जल्द ही नई अंतरिक्ष नीति पेश करेगी। इस नीति के तहत भारत में भी स्पेसएक्स जैसी कंपनियां शुरू हो सकेंगी। सूद ने कहा कि इस बारे में परामर्श हो चुका है। अंतरिक्ष नीति का अंतिम संस्करण जल्द ही अधिकार प्राप्त प्रौद्योगिकी समूह को भेजा जाएगा।
उन्घ्होंने कहा कि अंतरिक्ष नीति पर काम चल रहा है। हम इसका ज्यादा इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, लेकिन पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) के उपग्रहों की नई तकनीक पर काम चल रहा है। यह एक कम लागत वाला खेल है। सूद ने कहा, एलईओ में बड़ी संख्या में उपग्रह हैं। इससे अंतरिक्ष क्षेत्र (ैचंबमैमबजवत) बदल जाएगा। सूद ने कहा, हमने इस क्षेत्र की पूरी क्षमता का दोहन नहीं किया है। 2022 में अंतरिक्ष क्षेत्र देख रहा है कि 1990 के दशक में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने क्या अनुभव किया था।
25 अप्रैल को पदभार ग्रहण करने वाले सूद ने कहा, सरकार स्वास्थ्य देखभाल, षि से लेकर शहरी विकास और संपत्ति कर आकलन तक कई तरह के अनुप्रयोगों के लिए निजी क्षेत्र में उपग्रहों के निर्माण को प्रोत्साहित करेगी। सूद ने कहा, अगले दो वर्षों में हमारा अपना स्पेसएक्स होगा। स्पेसएक्स (ैचंबमग्), 2002 में एलन मस्क द्वारा स्थापित, एक निजी अंतरिक्ष परिवहन कंपनी है जो उन्नत राकेट और अंतरिक्ष यान का डिजाइन, निर्माण और प्रक्षेपण करती है।
उन्होंने कहा कि मानव जाति के लाभ के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए अपार अवसर हैं, लेकिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (प्ैत्व्) क्या कर सकता है इसकी सीमाएं हैं। सूद ने कहा कि नए लांच वाहन विकसित किए जा रहे हैं। अंतरिक्ष यान के लिए नए ईंधन विकसित किए जा रहे हैं। यह असंबद्घ को जोड़ेगा। यही विषय है कि असंबद्घ को कनेक्ट करें। यह तब होगा, जब हम निजी अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलेंगे।
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र के निजी क्षेत्र के लिए खुलने से षि, शिक्षा, आपदा प्रबंधन, ई-कामर्स अनुप्रयोगों जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिए समर्पित उपग्रह प्रक्षेपित हो सकेंगे। मार्गन स्टेनली का अनुमान है कि 2040 तक वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग का विस्तार एक ट्रिलियन डालर तक हो जाएगा।

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