उत्तराखंड

बिना शिक्षा व आजीविका के संतुलित पोषण मिलना असंभव : रावत

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श्रीनगर गढ़वाल : हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि चौरास परिसर में राज्य में भुखमरी की समाप्ति, पोषण व आजीविका पर काम कर रहे विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय संवाद में सतत विकास के लक्ष्य-2 (भूख की समाप्ति) को लेकर आगामी रणनीति पर रूपरेखा तैयार करने हेतु संवाद व विचार-विमर्श किया गया। इस मौके पर मुख्य वक्ता प्रो. एसएस रावत ने कहा कि एशिया व अफ्रीका के देशों में भुखमरी की स्थिति बेहद गंभीर है। कहा जब तक लैंगिक असमानता व पितृसत्ता को पूरी तरह उन्मूलित नहीं किया जाता तब तक पोषण व स्वास्थ्य मात्र सैद्धांतिक बातों तक ही सीमित रह जाएगा। उन्होंने कहा कि पर्याप्त भोजन मिल भी जाए तो भी बिना शिक्षा व आजीविका के संतुलित पोषण नहीं मिल सकता।
संवाद के पहले सत्र में मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री डॉ. मोहन सिंह रावत गांववासी ने अपने संबोधन में शिक्षा व पोषण को लेकर चल रही योजनाओं व राज्य तथा देश में स्थापित हो रहे मॉडल्स के उदाहरण सामने रखे और राज्य के विकास हेतु खेती को प्राथमिक बताया। अमन संस्था के रघु तिवारी ने कहा कि आज भी पहाड़ की 49 प्रतिशत महिलाएं रक्ताल्पता से जूझ रही हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के 40-50 वर्षों तक देश ने मिक्स इकोनॉमी को अपनाया था पर 90 के दशक में इसके टूटने के कारण सार्वजनिक पूंजी व्यक्तिगत पूंजी में बदल गई और इसने बेरोजगारी को स्थापित किया। चमोली से आए जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मण सिंह बिष्ट ने कहा कि पहले पीडीएस से दैनिक उपयोग का खाद्यान्न राशन कार्डों के माध्यम से मिलता था जो अब लगातार सिमटता जा रहा है। जिला पंचायत सदस्य प्रतापनगर उत्तरकाशी से आए बलवंत सिंह राणा ने कहा कि सरकार को चाहिए कि योजनाओं को कागजी आंकड़ों में नहीं धरातल पर देखे। ग्राम प्रधान संगठन के अध्यक्ष सुनय कुकसाल ने कहा कि राशन कार्ड को लेकर जमीनी सर्वे की जाए ताकि जरूरतमंद अपने अधिकार से वंचित ना रहे। संचालन डॉ. अरविंद दड़मोड़ा ने किया। (एजेंसी)

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