जंगली जानवरों से फसल बचाने के युद्ध स्तर पर हो प्रयास, फसल नष्ट कर रहे जंगली जानवर, किसान परेशान
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। जंगली जानवरों के आतंक से क्षेत्र के किसान परेशान हैं। जंगली जानवर किसानों की फसल नष्ट कर रहे हैं और उन्हें आर्थिक क्षति पहुंचा रहे हैं। इससे बचाव के लिए किसानों को कोई उपाय नहीं सूझ रहा है, जिसके चलते किसान अपनी फसलों को बर्बाद होता देखने को मजबूर हैं। पूर्व मंत्री सुरेन्द्र्र ंसह नेगी ने वन विभाग के सचिव को भेजे पत्र में कहा कि बरसात के दौरान पहाड़ियों से आये मलवे के कारण हाथी सुरक्षा दीवार की ऊंचाई कम हो जाने से जंगली जानवरों की आवासीय बस्तियों की ओर आवाजाही बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि दीवारों से सटे मलवे को हटाने की कार्यवाही, जहां क्षतिग्रस्त दीवारें है उन्हें शीघ्र ही ठीक कराकर किसानों की फसलों को बचाने के प्रयास युद्धस्तर पर किये जाय।
पूर्व मंत्री सुरेन्द्र्र ंसह नेगी ने कहा कि किसान पहले ही कोविड-19 की महामारी से परेशान है और अब जंगल जानवरों से अपनी खड़ी फसलों को हाथियों के झुण्ड से बचाने में अपने को असहाय महसूस कर रहा है। हाथी किसानों की खड़ी फसल को आये दिन नुकसान पहुंचा रहे है, लेकिन वन विभाग और प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में किसानों की फसलों को हाथियों सहित जंगली जानवरों से बचाने के लिए दो-तीन जिप्सियों के माध्यम से व फोरेस्ट गार्डों के सहयोग से रात भर गश्त कराई जाती थी, लेकिन प्रदेश में सत्ता परिर्वतन होने के बाद पिछले साढ़े तीन साल से यह व्यवस्था बंद होने से जंगली जानवरों का आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। जिससे जहां फसलों को नुकसान हो रहा है, वहीं जानमाल का भी खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों से खड़ी फसलों को बचाने के लिए पूर्व की व्यवस्था जिप्सियों पर फोरेस्ट गार्डों को बहाल कर हवाई फायरिंग व पटाखों के इस्तेमाल से जंगली जानवरों को आबादी क्षेत्रों से दूर रखा जाय। पूर्व मंत्री ने कहा कि हाथी सुरक्षा दीवारों का निर्माण भी तीन साल पहले करवाया गया था, लेकिन मरम्मत के अभाव में हाथी सुरक्षा दीवार भी जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गई है, जिस कारण हाथियों के झुंड आबादी क्षेत्र में आ रहे है।