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कोटद्वार में नहीं लागू होता शासनादेश: अवैध खनन का हो रहा भंडारण, दूसरे प्रदेश में धड़ल्ले से जा रहे है डंपर

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जयन्त प्रतिनिधि। 
कोटद्वार। उत्तराखण्ड सरकार की संशोधित खनन नीति का शासनादेश जारी होने के बाद भी कोटद्वार में उसका पालन नहीं किया जा रहा है। नई खनन नीति में भंडारण में आरबीएम को प्रतिबंधित किये जाने और उसे दूसरे प्रदेश में ले जाने पर रोक केबाद भी कोटद्वार में कुछ भंडारणों में स्थानीय नदियों से अवैध रूप से आरबीएम इकट्ठा किया जा रहा है और उसकेबाद उसे लगातार डंपरों में लोड कर दूसरे प्रदेश उत्तर प्रदेश में खुल्लेआम ले जाया जा रहा है।
नई खनन नीति के अनुसार प्रदेश में भंडारण के लिए नदी तल से डेढ़ किमी. दूर पर ही खनन भंडारण किया जा सकता है। इसके साथ ही स्वीकृत भंडारणों में आरबीएम का भंडारण करना किसी भी रूप में प्रतिबंधित किया गया है। इन भंडारणों में केवल के्रशरों से आने वाली रेत बजरी का ही भंडारण किया जा सकता है। बावजूद इसके कोटद्वार में कुछ भंडारणों में नदियों में हुए रिवर टे्रडिंग के दौरान आरबीएम का भंडारण दिखाया जा रहा है। जबकि इन भंडारणों में स्थिति यह है कि ये रोज खाली होते है और रात को नदियों से अवैध खनन कर फिर भरे जाते है और उसके बाद उन्हें पुराने रवन्नों पर दिखाकर बेचा जाता है।
सूत्रों के अनुसार कोटद्वार से लगभग 100 से 200 डंपर आरबीएम लेकर रोजाना कौड़िया चेक पोस्ट से उत्तर प्रदेश की ओर जाते है। जबकि उत्तराखण्ड से उत्तर प्रदेश में आरबीएम की बिक्री पर पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगा हुआ है। चूंकि वर्तमान में कोटद्वार की खोह, सुखरो और मालन आदि नदियों में खनन पर प्रतिबन्ध लगा हुआ है। बावजूद इसके ट्रैक्टरों द्वारा अवैध रूप से इन नदियों से खनन कर कुछ भंडारणों में आरबीएम की सप्लाई की जा रही है।
कैसे खेला जा रहा है अवैध खनन का खेल
कोटद्वार की नदियों में पिछले दो महिने से अधिक समय तक चले रिवर टें्रडिग के नाम पर नीलामी के द्वारा हुए खनन के दौरान कुछ भंडारणों में आरबीएम का स्टॉक दिखाया गया है। जबकि इन भंडारणों में मौके पर देखा जाय तो यहां पुराना कोई भी आरबीएम स्टॉक नहीं दिखाई देगा। लेकिन उनके पास कागजों में आरबीएम का भारी स्टॉक मौजूद है। जिसे वे नदियों वर्तमान में लाये जा रहे अवैध खनन को वैध करने में इस्तेमाल करते है। यदि प्रशासन आज ही मौके पर जाकर खनन का सत्यापन करें तो हकीकत सामने आ जायेगी। इसके बावजूद अगर मान लिया जाय कि भंडारणों के पास पुराना स्टॉक पड़ा हुआ है तो भी प्रदेश की नई खनन नीति के तहत वह उसे उत्तराखण्ड से दूसरे प्रदेश में नहीं भेज सकते है। बावजूद इसके कौड़िया चेक पोस्ट के सामने से रोजाना आरबीएम से लदे हुए सैकड़ों डंपर उत्तर प्रदेश की ओर जा रहे है। जिससे लगता है कि उत्तराखण्ड सरकार की नई खनन नीति के शासनादेश का पालन न तो राजस्व विभाग ही कर रहा है और ना ही पुलिस विभाग इसमें दिलचस्पी ले रहा है।
कुछ भंडारण है जो चल रहे है: उपजिलाधिकारी
उपजिलाधिकारी कोटद्वार योगेश मेहरा का कहना है कि नई खनन नीति के तहत कोई भी नया भंडारण नहीं दिया गया है। कुछ भंडारण है जो नई खनन नीति आने से पहले स्वीकृत हुए थे वे वर्तमान में नई खनन नीति के मानकों के विपरीत भी चल रहे है, उनका लाईसेंस की वैधता कुछ समय बाद समाप्त हो जायेगी। जिससे वे स्वत: ही बंद हो जायेगें। वैसे भी अब भंडारणों में नदी के आरबीएम का स्टॉक नहीं किया जा सकता है।
बॉक्स समाचार
क्या है खनन भंडारण के नये मानक
प्रदेश की नई खनन नीति के तहत उपखनिज भंडारण स्थल नदी से डेढ़ किमी. दूरी पर स्थापित किया जा सकता है। साथ ही भंडारण में आरबीएम का भंडारण नहीं किया जायेगा। इसमें केवल के्रशर से लाई हुई रेत बजरी का भंडारण कर फुटक्रर बिक्री की जायेगी।

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