उत्तराखंड

मस्ताड़ी गांव पर मंडरा रहा भूस्खलन का खतरा

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उत्तरकाशी। भटवाड़ी ब्लक के मस्ताड़ी गांव पर भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है। गांव के ऊपर लगातार हो रहे भूस्खलन के चलते ग्रामीणों के आवासीय भवनों पर लंबी चौड़ी दरारें उभर आई हैं। आजकल गांव में भूस्खलन से दरारें ज्यादा दिखाई देने लगी है, जिससे ग्रामीण भय के साए में जीने को मजबूर हैं। दरअसल, भटवाड़ी के मस्ताड़ी गांव में वर्ष 1991 के प्रलयकारी भूकंप से अंदर तक जमीन हिलने के बाद लगातार भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है। वर्ष 1998 में भूस्खलन के खतरे को देखते हुए शासन प्रशासन की ओर से गांव का भूगर्भीय सर्वेक्षण का भी कराया गया। सर्वे में गांव में भूस्खलन का खतरा बताया गया। ग्राम प्रधान सत्यनारायण प्रसाद सेमवाल बताते हैं कि वर्ष 2020 में भी गांव का भू वैज्ञानिक सर्वे हुआ। सर्वे टीम ने गांव के नीचे जमीन के अंदर पानी के तालाब की पुष्टि की है, जिससे लगातार भूस्खलन का खतरा बना है। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में गांव में भूस्खलन के कारण पूरा 30 से 35 आवासीय भवनों को भारी खतरा उत्पन्न हो गया है। हालांकि भूस्खलन की चपेट में पूरा गांव है, जहां करीब 500 मीटर हिस्से में भूस्खलन सक्रिय है। भूस्खलन सक्रिय होने से ग्रामीणों में भय व्याप्त है। उन्होंने कहा कि बरसाती सीजन में यह खतरा और भी बढ़ जाता है। ग्रामीण हरीश सेमवाल, सुंदर प्रसाद, देवी प्रसाद, रामानंद आदि ने बताया कि उनके मकानों पर गहरी दरारें उभर आई हैं। ग्रामीणों ने शासन प्रशासन से शीघ्र ही गांव के विस्थापन की मांग उठाई है।

 

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