उत्तराखंड

मायके में रह रही विवाहिता महिलाओं को भरण पोषण देना होगा

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चम्पावत। दो अलग-अलग मामलों में कोर्ट ने वादियों को भरण-पोषण पाने का अधिकारी माना है। अदालत ने दोनों मामलों में विपक्षीगण को विवाहिता महिलाओं को भरण-पोषण की राशि भुगतान करने का आदेश सुनाया है। पहला मामला न्यायिक मजिस्ट्रेट जहांआरा अंसारी की अदालत का है। जिसमें मूलरूप से मध्य प्रदेश व हाल निवासी गांव मांज तहसील चम्पावत निवासी नीतू उप्रेती ने अपने व दो नाबालिग बच्चों को पति से भरण-पोषण दिलाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। महिला की शादी 2006 में हुई थी। ससुराल में मारपीट व दहेज उत्पीड़न का आरोप लगा था। जिसके बाद 2018 में वह अपने मायके आ गई। पति महेश उप्रेती मूर्ति निर्माण का काम करता है। वादी ने खुद की जरूरत व बच्चों की पढ़ाई के लिए जुलाई 2022 में कोर्ट में आवेदन देकर भरण-पोषण मांगा था। कोर्ट ने आठ हजार रुपये प्रतिमाह भरण-पोषण के तौर पर देने का आदेश सुनाया है।
दूसरा मामला मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अरुण वोहरा की अदालत का है। कोर्ट में दायर वाद में मूलरूप से गौलापार व हाल लोहाघाट निवासी वादी आस्था संभल ने कहा कि उसकी शादी 2017 में हुई थी। तीन वर्ष तक रिश्ता सही चला, लेकिन बाद में पति सागर संभल दहेज के लिए प्रताड़ित करने लगा। जिस कारण मार्च 2023 में वह मायके आ गई। कोर्ट ने चार हजार रुपये प्रतिमाह भरण-पोषण तय किया है। पति को यह राशि वादी के बैंक खाते में डालनी होगी।

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