कोटद्वार-पौड़ी

नशे के चंगुल में फंसती जा रही युवा पीढ़ी

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। आने वाली युवा पीढ़ी धीरे-धीरे नशे के चुंगल में जकड़ती जा रही है। लेकिन नशा मुक्त कराने के लिए न तो अभिभावकों ने कोई रूचि दिखाई और न ही शासन प्रशासन ने। शराब, गुटखा, तम्बाकू, बीड़ी-सिगरेट, नशीली टेबलेट्स, चरस, गांजा, स्मैक सहित भांति-भांति के नशीले पदार्थों की खेप पर खेप बड़े स्तर से लेकर छोटे स्तर तक बड़ी सुगमता से पहुंच रही है। उत्तराखंड में युवा पीढ़ी लगातार नशे का शिकार होती जा रही हैं, आए दिन युवाओं में बढ़ते नशाखोरी के मामले देखने को मिल रहे हैं। यही हाल कोटद्वार के भी हैं यहां पर भी आए दिन युवा वर्ग को चोरी छीपे नशा करते आसानी से देखा जा सकता है, लेकिन इसके बावजूद भी न तो इस ओर स्थानीय प्रशासन ध्यान दे रहा है और न ही युवाओं के परिजन। जिससे यह समस्या लगातार विकराल रूप लेती जा रही है और युवा नशे की गर्त में डूब अपना भविष्य के साथ अपना जीवन समाप्त करने पर तुले हुए हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक युवाओं में बढ़ती नशाखोरी एक बड़ा अभिशाप है जो इसके चंगूल में फंस जाता है वह अपने मौत को गला लगाने का काम कर रहा है। इसके लिए सबसे पहले युवाओं के परिजनों को उनपर निगरानी रखनी चाहिए। साथ ही प्रशासन और पुलिस को भी बढ़ती नशाखोरी पर अंकुश लगाने के लिए सफल प्रयास करने चाहिए।

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यह जरूर कहा जाता है कि नशा एक अभिशाप है, यह एक ऐसी बुराई है, जिससे इंसान का अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है। नशे के लिए समाज में शराब, जर्दा, गुटखा, तम्बाकू और धूम्रपान (बीडी, सिगरेट, हुक्का, चिलम) सहित चरस, स्मैक जैसे घातक पदार्थों का उपयोग किया जा रहा है। इन जहरीले और नशीले पदार्थों के सेवन से इंसान को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि पहुंचने के साथ ही इससे सामाजिक वातावरण भी लगातार प्रदूषित होता जा रहा है। साथ ही स्वयं और परिवार की सामाजिक स्थिति को भी भारी नुकसान पहुंचता है, इतना ही नहीं नशे के आदी को समाज में हेय की दृष्टि से भी देखा जाता है, जिसके चलते उसकी समाज एवं राष्ट्र के लिये उपयोगिता शून्य हो जाती है। वह नशे से अपराध की ओर अग्रसर हो जाता है तथा शांतिपूर्ण समाज के लिए अभिशाप बन जाता है। नशा अब एक राष्ट्रीय विकराल समस्या बन गयी है, नशे से आज स्कूल जाने वाले छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बडे़-बुजुर्ग और विशेषकर युवा वर्ग बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। आजकल अक्सर ये देखा जा रहा है कि युवा वर्ग इसकी चपेट में दिन प्रतिदिन आ रहा है वह तरह-तरह के नशे जैसे- तम्बाकू, गुटखा, बीडी, सिगरेट और शराब के चंगुल में फंसते जा रहे हैं। साथ ही फ्लूड और स्मैक का सेवन भी उनके लिए एक फैशन सा बन गया है, जिसके कारण उनका परिवार तो बर्बाद होता ही है साथ ही उनका कैरियर भी चौपट हो रहा है। इसकोेदुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि आजकल नौजवान शराब और धूम्रपान को फैशन और शौक के रूप में अपना लेते हैं। यही हाल इन दिनों कोटद्वार नगर के भी हैं जहां पर लगातार युवा पीढ़ी नशे के गिरफ्त में होते नजर आ रहे हैं, ऐसे में अब इस अभिशाप से समय रहते मुक्ति पा लेने में ही मानव समाज व इन युवा वर्ग की भलाई है, जो भी इसके चंगुल में फंस गया वह स्वयं तो बर्बाद होता ही है इसके साथ ही साथ उसका परिवार भी बर्बाद हो जाता है। इन सभी मादक प्रदार्थों के सेवन का प्रचलन किसी भी स्थिति में किसी भी सभ्य समाज के लिए वर्जनीय होना चाहिए।

क्या कहते है कोतवाल
कोटद्वार। कोतवाली प्रभारी निरीक्षक नरेन्द्र सिंह बिष्ट का कहना है कि बढ़ती नशाखोरी पर अंकुश लगाने को लेकर पुलिस द्वारा समय-समय पर कार्यवाही की जाती है जिसमें युवाओं के परिजनों को भी जागरूक किया जाता है। साथ ही नशे के कारोबार करने वालों पर भी पुलिस की निगरानी रहती है जिस पर कार्यवाही करते हुए उन पर नकेल कसने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा नशाखोरी पर प्रतिबन्ध को लेकर कैमिस्ट सहित व्यापारियों को भी निर्देशित किया गया है कि फ्लूड व नशे की दवाईयों से युवा वर्ग को दूर रखा जाए और इसकी जानकारी पुलिस प्रशासन को भी दी जाए।

शासन-प्रशासन के दावे हो रहे फेल
कोटद्वार। भले ही केन्द्र सरकार व राज्य सरकार सहित शासन-प्रशासन युवाओं में बढ़ती नशाखोरी पर अंकुश लगाने को लेकर तमाम प्रयास करने की बात करते न थकते हो लेकिन धरातल पर इसकी स्थिति उलट ही नजर आती है, युवा वर्ग लगातार नशे के गिरफ्त में होता नजर आ रहा है जो कि अब राष्ट्रीय विकराल समस्या के रूप में उभर रहा है यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में इसका प्रभाव काफी बुरा देखने को मिलेगा, जब देश का भविष्य युवा वर्ग ही नशे में अपना भविष्य बर्बाद कर देगा तो फिर हमारा देश किस ओर अग्रसर होगा जो काफी चिंतनीय विषय है।

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