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जयन्त की खबर का असर: सहमे बेस चिकित्सालय ने ऑक्सीजन प्लांट की गैस का उपयोग किया शुरू, आईसीयू वार्ड में भी किये मरीज भर्ती

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार।
दैनिक जयन्त की वेबसाइट पर प्रसारित खबर से हरकत में आया राजकीय बेस चिकित्सालय कोटद्वार ने सहमते-सहमते चार दिन पहले लोकार्पित ऑक्सीजन प्लांट की ऑक्सीजन का उपयोग करना शुरू कर दिया है। यहीं नहीं बेस चिकित्सालय ने नवनिर्मित दस आईसीयू बेड में तीन मरीजों को भी भर्ती करना बताया है। बीते शुक्रवार 14 मई को जयन्त वेबसाइट पर खबर प्रकाशित होने के बाद आज शनिवार को राजकीय बेस चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आदित्य तिवारी ने यह जानकारी एक प्रेस कॉफ्रेंस आयोजित कर पत्रकारों को दी। उन्होंने बताया कि 11 मई को शुभारंभ किये गये ऑक्सीजन प्लांट से मरीजों को ऑक्सीजन इसलिए नहीं दी जा रही थी कि प्लांट से बनने वाली ऑक्सीजन गैस की गुणवत्ता का प्रमाण पत्र उन्हें नहीं मिला था। जो उन्हें 14 मई की सायं को गुड़गांव स्थित लैब से प्राप्त हो गया है।
ऑक्सीजन प्लांट से ऑक्सीजन देने के मामले में उन्होंने बताया कि अभी हम ऑक्सीजन प्लांट पर पूर्ण रूप से भरोसा नहीं कर सकते है। इसलिए जिन मरीजों को ऑक्सीजन प्लांट से ऑक्सीजन दी जा रही है उनके पास ऑक्सीजन सिलेंडर भी रखे हुए है। सीएमएस डॉ. तिवारी ने बताया कि ऐसा इसलिए किया गया है कि कोटद्वार में ऑक्सीजन प्लांट चूंकि अभी नया है, जिसकी गुणवत्ता पर एकदम भरोसा नहीं किया जा सकता है। नई मशीन होने के कारण यदि बीच में खराबी आती है तो मरीज को ऑक्सीजन के लिए तत्काल ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराया जा सके।
दैनिक जयन्त की वेबसाइट पर व शनिवार 15 मई के अंक में प्रकाशित खबर में कहा गया था कि कोविड-19 की महामारी की दूसरी लहर की सुनामी में कोटद्वार बेस हॉस्पिटल कोरोना मरीजों के लिए मजाक बनकर रह गया है। इस हॉस्पिटल में कोविड जांच कराकर पॉजिटिव आने वाले संक्रमितों की मौत का आकंड़ा जहां प्रतिदिन एक से अधिक है, वहीं बिना कोविड जांच वाले आपातकालीन मरीजों की मौत का आकंड़ा मई माह में प्रतिदिन 6 से अधिक हो गया है। कोरोना की सुनामी में राजकीय बेस अस्पताल कोटद्वार की कोरोना मरीजों के इलाज के लिए तमाम दावों की पोल खुलती नजर आ रही है। इस बेस हॉस्पिटल में उपलब्ध 13 वेटिंलेटर जहां बिना सेंट्रल ऑक्सीजन प्लांट के अभाव में अभी तक निष्क्रिय पड़े हुए है, वहीं चार दिन पूर्व जनता को समर्पित दो करोड़ की लागत से स्थापित ऑक्सीजन प्लांट की गुणवत्ता रिपोर्ट न आने के कारण उसका उपयोग नहीं किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा पौड़ी गढ़वाल के पांच विकासखंडों एवं उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के आधे हिस्से के मरीजों के लिए इस हायर सेंटर में सुविधाओं का जो ढोल पीटा जा रहा है। वह धरातल पर नहीं दिखाई दे रहा है। लिहाजा कोरोना मरीजों को बिना जांच के ही इमरजेंसी में भर्ती होकर दम तोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।



जिला कोविड वार रूम की रिपोर्ट को बताया गलत

कोटद्वार बेस हॉस्पिटल के सीएमएस डॉ. आदित्य तिवारी ने पौड़ी जिला कोविड वार रूम की उस रिपोर्ट को भी गलत बताया है, जिसमें कोटद्वार कोविड वार्ड में 6 आईसीयू बेड दिखाये गये है। उन्होंने कहा कि कोटद्वार में पहले से स्थापित 6 आईसीयू बेड का कोविड वार्ड से कोई लेना देना नहीं है। ये आईसीयू बेड पूर्व में ऑपरेशन थियेटर और डिलीवरी रूम के लिए स्थापित किये गये है। वर्तमान में कोटद्वार बेस हास्पिटल में स्थापित कोविड वार्ड में 10 नवनिर्मित आईसीयू बेड है। जिसकी जानकारी जिला कोविड वार रूम की रिपोर्ट में नहीं दिखाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कोविड वार्ड के लिए नवनिर्मित 10 आईसीयू बेड का लोकापर्ण 30 अप्रैल को किया गया था, किन्तु इसमें दो दिन पहले 13 मई को उपयोग में लाया गया है। इस समय इस आईसीयू वार्ड मेें 3 मरीज भर्ती है। उन्होंने कहा कि इस मामले में जिला कोविड वार रूम को सूचित किया जा रहा है।

सीएमएस ने बताया 12 दिन में 76 मौतों का सच

राजकीय बेस हास्पिटल कोटद्वार में 12 दिन में हुई सामान्य 76 मरीजों की मौत के मामले में हास्पिटल के सीएमएस डॉ. आदित्य तिवारी ने कहा कि ये मरीज कोविड लक्षण के थे। किन्तु हास्टिपल आने की बजाय बहुत दिनों तक घर पर ही इलाज कर रहे थे। हालात अधिक खराब होने पर जब वे बेस हास्पिटल पहुंचे तो उस स्थिति में इलाज का पूरा समय निकल गया, जिससे उन्हें बचाया नहीं जा सका। उन्होंने कहा कि कोरोना मरीजों को कोरोना की दूसरी स्थिति आने पर तुरन्त चिकित्सकों का परामर्श लेना चाहिए। लेकिन वर्तमान में यहां ऐसा नहीं हो रहा है। जब मरीज तीसरी स्थिति में पहुंचकर गंभीर हो जा रहा है तब वह बेस हास्पिटल का रास्ता देख रहा है। गंभीर स्थिति में मरीज को उपचार देने का भी समय नहीं मिल पा रहा है और उससे पहले ही वह दम तोड़ रहा है।

क्यूं आ रही है नेगेटिव रिपोर्ट

बेस हास्पिटल कोटद्वार में स्थापित कोविड वार्ड के प्रभारी चिकित्सक डॉ. सुनील शर्मा का कहना है कि कोविड वायरस से गंभीर बीमार लोगों में कोरोना के लक्षण होने के बावजूद भी रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है। जिससे परिजनों में भ्रम की स्थिति बन रही है। उन्होंने कहा कि कोविड मरीज में कोरोना की रिपोर्ट तभी तक मायने रखती है जब तक कोरोना की प्रथम स्टेज यानि की गले या नाक में रहता है। जब कोरोना नाक और गले से फेफेड़े में संक्रमण शुरू कर देता है तब वह नाक और मुंह से फेफड़े में जा चुका होता है। ऐसी स्थिति में नाक और मुंंह से लिया गया कि सैंपल नेगेटिव आता है। उन्होंने कहा कि बेस हास्पिटल में आने वाले ऐसे गंभीर बीमार लोगों को हम कोरोना पेशेंट मानकर इलाज करते है। इसलिए यह कहना गलत है कि फेफड़े में संक्रमित कोरोना वायरस वाले मरीजों की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद उन्हें कोरोना मरीज नहीं माना जायेगा।
इस बात की पुष्टि करते हुए बेस हास्टिपल के सीएमएस डॉ. आदित्य तिवारी ने बताया कि आज शनिवार को बेस हास्पिटल में पांच लोगों की मौत हुई है। जिसमें तीन कोरोना नेगेटिव पाये गये, लेकिन ये तीनों मरीज 24 घंटे के अंतराल में हास्टिपल में दम तोड़ बैठे। जो कि पूर्ण रूप से कोरोना प्रभावित थे, लेकिन कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई। उन्होंने जनता से अपील की कि कोरोना बीमारी को गंभीरता से लें। सामान्य स्थिति तक होम आइसोलेशन पर रहे किन्तु स्थिति विकट होने से पहले चिकित्सकों का परामर्श जरूर ले, अधिक विलम्ब करने पर जीवन को खतरा हो सकता है।

स्थिति से निपटने के लिए स्टाफ में हो रही वृद्धि
राजकीय बेस चिकित्सालय में कोविड पॉजिटिव व संदिग्ध मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए बेस चिकित्सालय प्रशासन की मांग पर जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा 31 कार्मिकों की नियुक्ति की गई है। जिसमें से 20 वार्ड व्याय, 6 नर्सिग स्टाफ, दो डाटा इंट्री आपरेटर एवं तीन सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है। चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. आदित्य तिवारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि अभी भी बेस हास्पिटल में कार्मिकों की कमी महसूस की जा रही है। वर्तमान में तैनात डॉक्टरों सहित सभी कार्मिक इस आपदा में क्षमता से अधिक काम कर रहे है। जो कि लंबे समय तक करना संभव नहीं है। इससे दुष्परिणाम भी सामने आ सकते है।

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