पंजाबी समुदाय के विधायक को मंत्रीमंडल में जगह न मिलने पर जताया आक्रोश
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। उत्तरांचल पंजाबी महासभा इकाई कोटद्वार की बैठक में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के मंत्रीमंडल में पंजाबी समुदाय के विधायकों को मंत्री पद न मिलने पर आक्रोश व्यक्त किया। पंजाबी महासभा के पदाधिकारियों ने उपजिलाधिकारी अपर्णा ढौंडियाल के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजे ज्ञापन में कहा कि उत्तराखण्ड सरकार में पंजाबी समाज के विधायक को मंत्री मंडल में शामिल किया जाना चाहिए।
गुरूवार को आयोजित बैठक में वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखण्ड विधानसभा में पंजाबी समुदाय के पांच विधायक होने के बावजूद भी उन्हें सरकार के मंत्री मंडल में शामिल नहीं किया गया है। जबकि उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन में पंजाबी समुदाय का विशेष योगदान रहा है। पंजाबी समुदाय के लोगों को संगठन में भी महत्वपूर्ण पदों से वंचित रखा जा रहा है। यहां तक कि अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष का पद जो उत्तराखण्ड राज्य निर्माण से इस सरकार के गठन से पूर्व तक परम्परागत रूप से पंजाबी/सिख का रहा है, उसे भी त्रिवेन्द्र रावत की सरकार ने वंचित कर दिया, जिसका आज स्पष्टीकरण किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पंजाबी समुदाय के साथ राजनीतिक कारणों से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। जाने-अंजाने में उत्तराखण्ड गठन से सरकार द्वारा विशेष कर इस संस्कृति के समाज को विकास से दूर रखने का संदेश दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि पंजाबी समुदाय को सरकार में उचित स्थान नहीं मिलता है तो पंजाबी समुदाय आंदोलन के लिए बाध्य होगा। बैठक में पंजाबी महासभा के अध्यक्ष मुकेश मल्होत्रा, अश्विनी भाटिया, रविन्द्र भाटिया, महिन्द्र सिंह, दलजीत सिंह, जितेन्द्र भाटिया, महेश भाटिया, रजनीश उप्पल, हरीश नारंग, दीपक सिंह, राहुल, गोल्डी भाटिया, राकेश आहुजा, राजकुमार छावड़ा, अनिल भोला, इन्द्रेश भाटिया आदि मौजूद थे।