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परिसंपत्तियों के मामले में जनता को गुमराह न करे सरकार: उमा सिसोदिया

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देहरादून। उत्तर प्रदेश से परिसंपत्तियों के कितने मामलों का निस्तारण हो चुका है, इस पर आम आदमी पार्टी ने सरकार से जानकारी मांगी है। उन्होंने सरकार से इस मामले में जनता को गुमराह नहीं करने की बात कही है। प्रदेश प्रवक्ता विशाल चौधरी और उमा सिसोदिया ने एक पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को परिसंपत्तियों के मामले में जनता को गुमराह ना कर सार्वजनिक तौर पर प्रेस के माध्यम से जानकारी देनी चाहिये। आप प्रवक्ता उमा सिसोदिया ने कहा कि सूबे को बने 20 साल से ज्यादा हो गए हैं और इन 20 सालों में राज्य तमाम तरह की दिक्कतों से दो-दो हाथकर चलता आया है। लेकिन राज गठन के समय से लेकर अब तक परिसंपत्तियों का मुद्दा दोनों पार्टियों, बीजेपी और कांग्रेस के लिए एक निराशाजन रहा। जहां दोनों ही सरकारें 10 साल राज करने के बाद भी अपने उत्तराखंड के हक को नहीं दिला पाए। अलबत्ता कई मामले कोर्ट के जरिए विचाराधीन और उम्मीद की किरण दिखाते जरूर हैं। ये दोनों ही पार्टियां कभी भी परिसंपत्तियों को लेकर इतना संजीदा नहीं दिखाई दी।वहीं आप प्रवक्ता विशाल चौधरी ने कहा कि आज भी उत्तराखंड की करोड़ों रुपए की देनदारी उत्तर प्रदेश पर हैं। कई जमीने, कई विभाग और कई मामले के अधिकार आज भी उत्तराखंड में होते हुए उत्तर प्रदेश के पास हैं। उत्तराखंड मूल के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी के आने के बाद उत्तराखंड में भी बीजेपी सरकार होने के बाद और केंद्र में भी भाजपा की सरकार के बावजूद ट्रिपल इंजन को लेकर जो उम्मीद प्रदेशवासी के दिलों में जगी थी और लगा था कि इस बार परिसंपत्तियों को लेकर विवाद जरूर खत्म हो जाएगा लेकिन अपने दो दिवसीय दौरे पर आए योगी के बयान ने उन तमाम उम्मीदों को एक बार फिर से तोड़ दिया है जिसे लेकर उत्तराखंड वासियों को ट्रिपल इंजन से उम्मीद थी।उमा सिसोदिया ने कहा कि अगर योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि अधिकांश मामले सुलझा लिए गए तो आम आदमी पार्टी दोनों मुख्यमंत्री से सवाल पूछती है कि परिसंपत्तियों के जिन अधिकांश मामलों को सुलझाने की बात कर रहे हैं उनको दोनों प्रेस के माध्यम से सार्वजनिक करें। अगर 20 सालों में भाजपा कांग्रेस इन परिसंपत्तियों का निपटारा नहीं कर पाई। इससे बड़ी शर्म की बात उत्तराखंड के लिए और इन पार्टियों के लिए कुछ नहीं हो सकती है।कहा कि उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद को उत्तराखंड सरकार की ओर से निर्बल आवास योजनाओं के अंतर्गत ऋण समाधान व ऋण देनदारी का मसला, यूपी रिवॉल्विंग फंड में उत्तराखंड के 13 जिलों की जिला पंचायतों की जमा धनराशि पर अर्जित ब्याज पर अभी तक सहमति नहीं बनी। उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास विभाग को अनुबंध के अनुसार बकाया ब्याज के 15 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ। तराई बीज एवं तराई विकास परिषद को उत्तर प्रदेश से 8.80 करोड़ रुपये की धनराशि पर सहमति नहीं हुई। लखनऊ जिला मुख्यालय और दिल्ली स्थित राज्य अतिथि गृह की परिसंपत्तियों का बंटवारा भी अभी तक लंबित है।

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