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कोविशील्ड या कोवैक्सीन लेने वालों को कोर्बेवैक्स की बूस्टर डोज देने की सिफारिश

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नई दिल्ली, एजेंसी। टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटागी) के कोरोना से संबंधित कार्यकारी समूह ने कोविशील्ड या कोवैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोगों को बूस्टर डोज के रूप में कोर्बेवैक्स लगाने की मंजूरी देने की सिफारिश की है। हैदराबाद की बायोलाजिकल ई ने कोर्बेवैक्स को विकसित किया है।
यह जानकारी देते हुए सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि अगर सरकार से मंजूरी मिल जाती है तो देश में पहली बार होगा कि प्राथमिक वैक्सीन से अलग वैक्सीन का उपयोग बूस्टर डोज के रूप में किया जाएगा। देश में बूस्टर डोज सतर्कता डोज के नाम से लगाई जा रही है। सतर्कता डोज के रूप में प्राथमिक डोज वाली वैक्सीन ही लगाई जाती है।
सूत्रों ने बताया कि एनटागी के कार्यकारी समूह ने 20 जुलाई को हुई अपनी 48वीं बैठक में यह सिफारिश की थी। इसमें कहा गया है कि 18 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों को कोवैक्सीन या कोविशील्ड की दोनों प्राथमिक डोज लेने के छह महीने बाद कोर्बेवैक्स तीसरी या सतर्कता डोज के रूप में लगाई जा सकती है।
कोर्बेवैक्स देश की पहली आरबीडी प्रोटीन वैक्सीन है। अभी इसका उपयोग 12-14 आयुवर्ग के बच्चों के टीकाकरण में किया जा रहा है।
हैदराबाद स्थित कंपनी भारत बायोटेक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक ष्णा एल्ला ने कहा है कि उनकी कोरोना रोधी नेजल (नाक से दी जाने वाली) वैक्सीन को दवा नियामक से इस महीने मंजूरी मिलने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात के अलंकेश्वर स्थित उनकी वैक्सीन उत्पादन इकाई दुनिया की उन दो इकाइयों में से एक है जो मंकीपाक्स रोधी वैक्सीन बनाने में सक्षम हैं। दूसरी इकाई जर्मनी की बैवरियन नार्डिक है। भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोरोना रोधी वैक्सीन कोवैक्सीन टीकाकरण अभियान में उपयोग की जा रही है।

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