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ममता सरकार को झटका : सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस विवाद पर बनाए आयोग पर लगा दी रोक

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नई दिल्ली, एजेंसी : सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी विवाद की जांच के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से नियुक्त आयोग पर रोक लगा दी है। बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार ने पूर्व न्यायाधीश मदन बी. लोकुर के नेतृत्व में आयोग का गठन किया था।
इससे पहले अक्टूबर महीने के अंतिम सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके अनाधृकित जासूसी के आरोपों की जांच करने के लिए एक समिति नियुक्त कर दी थी। तकनीकी विशेषज्ञों की यह समिति अदालत की निगरानी में काम करेगी। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों वाली एक पीठ ने दिया, जिसमें मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्या कांत और जस्टिस हीमा कोहली शामिल थे। समिति में तीन तकनीकी विशेषज्ञ होंगे और सेवानिवृत्त जज जस्टिस आरवी रवींद्रन समिति के काम की देखरेख करेंगे। समिति सभी आरोपों का अध्ययन करेगी और अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर आठ सप्ताह बाद फिर से सुनवाई करने की बात कही थी।

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क्या है पेगासस और कितना है खतरनाक
इजरायली कंपनी एनएसओ का पेगासस स्पाईवेयर ‘नेटवर्क इंजेक्शन’ तकनीक के तहत किसी बेस ट्रांसीवर स्टेशन (बीटीएस) के जरिये लोगों के फोन में सेंध लगाने में सक्षम है। बीटीएस उस फर्जी मोबाइल टॉवर को कहते हैं, जिसका निर्माण वैध सेलुलर टॉवर की नकल के तौर पर किया जाता है। यह अपने दायरे में आने वाले सभी फोन को उससे संबंधित सिग्नल खुद तक पहुंचाने के लिए बाध्य करता है। पेगासस सेवा प्रदाता कंपनी के वैध टॉवर में भी सेंधमारी करने की क्षमता रखता है। पेगासस फोन पर आने-जाने वाले हर कॉल का ब्योरा जुटाने की क्षमता रखता है। यह फोन में मौजूद मीडिया फाइल और दस्तावेजों के अलावा उस पर आने-जाने वाले एसएमएस, ईमेल और सोशल मीडिया मैसेज की भी जानकारी दे सकता है। पेगासस यूजर की ऑनलाइन गतिविधियों के अलावा उसमें सहेजे गए अहम पासवर्ड, कॉन्टैक्ट लिस्ट, कैलेंडर इवेंट आदि की जानकारी देने में भी सक्षम है। हमलावर फोन के कैमरे और माइक का नियंत्रण भी हासिल कर सकता है।

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