कोटद्वार-पौड़ी

श्रीनगर बेस हास्पीटल के सारे 750 बेड कोरोना के लिये रिजर्व, अन्य रोगी हो रहे हैं परेशान

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वर्तमान में मात्र 22 कोविड मरीज हैं भर्ती
जयन्त प्रतिनिधि।
श्रीनगर।
चंद कोविड मरीजों के नाम पर राजकीय मेडिकल कालेज के बेस अस्पताल की आईपीडी व ओपीडी बंद की गई है। जिससे गढ़वाल के चार जनपदों की 20 लाख की आबादी स्वास्थ्य सुविधाओं से महरूम है। वर्तमान में यहां मात्र 22 कोरोना मरीज भर्ती हैं। 22 कोरोना मरीजों के इलाज के लिए 750 बेड के अस्पताल को बंद किया गया है। वहीं बेस अस्पताल प्रशासन का कहना है कि जल्द ही बैठक आयोजित कर इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा।

राजकीय मेडिकल कालेज के बेस अस्पताल को कोविड अस्पताल बनाया गया है। जिस कारण यहां अन्य ओपीडी, आईपीडी व गायनी विभाग बंद कर दिया गया था। कुछ दिन पूर्व जिला प्रशासन के निर्देश पर यहां गायनी विभाग खोल दिया गया था। हालांकि अभी भी ओपीडी व अन्य आईपीडी बंद हैं। जिससे गढ़वाल के चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी व टिहरी जनपदों की करीब 20 लाख की आबादी मेडिकल कालेज के बेस अस्पताल की सुविधाओं से महरूम है। बेस अस्पताल में जांचों के लिए उच्च स्तरीय मशीनें उपलब्ध हैं। इसके अलावा सभी विभागों में बड़ी संख्या में चिकित्सक भी तैनात हैं। लेकिन करीब दो माह से पूरा बेस अस्पताल कोविड अस्पताल के नाम पर अन्य मरीजों के लिए बंद हैं। जबकि स्थानीय निवासी सहित अन्य जनपदों के लोग बेस अस्पताल को अन्य मरीजों के लिए खोले जाने की मांग कर रहे हैं। पूर्व में इस संबंध में दैनिक जयंत ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी। तब जिला प्रशासन ने यहां गायनी विभाग को खोले जाने के निर्देश दिए थे। लेकिन अभी भी अन्य विभागों की आईपीडी व ओपीडी यहां बंद हैं। जबकि वर्तमान में यहां कोविड के मात्र 22 मरीज ही भर्ती है। सामाजिक कार्यकर्ता समीर रतूड़ी ने कहा कि मात्र 22 लोगों के नाम पर मेडिकल कालेज के बेस अस्पताल को अन्य मरीजों के लिए बंद किया जाना तर्क संगत नहीं है। यह प्रशासन का एक अविवेक पूर्ण निर्णय है। स्थानीय निवासी देवेंद्र सिंह, भाष्कर नेगी, दिवाकर राणा आदि ने कहा कि अब कोविड की स्थिति काफी सामान्य हो गई है। बेस अस्पताल को सामान्य मरीजों के लिए खोल दिया जाना चाहिए। लेकिन प्रशासन कोविड के नाम पर अस्पताल बंद कर के बैठा है। वही बेस अस्पताल के एमएस डॉ. केपी सिंह ने कहा कि जल्द ही बैठक आयोजित कर इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा।
जब इस संबंध में जिलाधिकारी से फोन पर प्रशासन का पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। जिससे जिला प्रशासन का पक्ष नहीं मिल पाया। जिला प्रशासन की ओर से पक्ष दिए जाने पर प्रकाशित किया जाएगा।

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