मंकीपाक्स से भी बचाएंगे सैनिटाइजर और मास्क, सरकार ने डिस्पोजल दस्ताने पहनने, साबुन से हाथ धोते रहने की सलाह दी
नई दिल्ली, एजेंसी। देश में धीरे-धीरे मंकीपाक्स के मामले बढ़ रहे हैं। अभी तक आठ मामले मिल चुके हैं और एक संक्रमित की मौत भी हो चुकी है। ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिशानिर्देश जारी कर यह बताया कि बीमारी से बचाव के लिए क्या करें और क्या न करें। इसमें हैंड सैनिटाइजर के इस्तेमाल के साथ ही मास्क पहनने की सलाह दी गई है। आम लोगों की दिनचर्या को प्रभावित करने वाली ये कुछ ऐसी पाबंदियां हैं जिनका कोरोना संक्रमण के दौरान सख्ती से पालन किया गया था।
कोरोना के प्रसार को सीमित करने में इसका प्रभाव भी नजर आया। अब जब मंकीपाक्स भी फैल रहा है, तब ये पाबंदियां एक बार फिर लौटी हैं, इस उम्मीद में कि मंकीपाक्स कोरोना जैसा विकराल रूप न लेने पाए। श्गाइडलाइंस आन मैनेजमेंट आफ मंकीपाक्स डिजीजश् के नाम से जारी दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि मरीज के संपर्क में बार-बार आने या लंबे समय तक करीब रहने वाला व्यक्ति भी संक्रमित हो सकता है।
इसके लिए जरूरी है कि संक्रमित व्यक्ति को दूसरे लोगों से दूर रखा जाए। लोग हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें, साबुन से हाथ धोते रहें, मास्क पहने, मरीज के करीब जाने पर डिस्पोजल दस्ताने पहने और वातावरण को साफ करने के लिए कीटाणुनाशकों का उपयोग करें। क्या-क्या नहीं करेंसंक्रमित या संदिग्ध मरीजों के साथ चादर, बिस्तर, कपड़े, तौलिया और संपर्क में आने वाले अन्य सामान साझा नहीं करें।
संक्रमित व्यक्ति के साथ दूसरे लोगों के कपड़ों, तौलियों या चादरों को न साफ करें। अगर किसी व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण भी हों तो वह भीड़भाड़ वाली जगहों या समारोहों में जाने से बचे। संक्रमितों या संदिग्ध मरीजों के साथ भेदभाव न करें या उन्हें ताना न मारें। अफवाहों या गलत सूचनाओं पर ध्यान न दें। संदिग्ध मरीजों की सूची में कौन आएगा ?
दिशानिर्देशों के अनुसार उस व्यक्ति को मंकीपाक्स का संदिग्ध मरीज माना जाएगा, जिसने इस बीमारी से प्रभावित देश की 21 दिन के अंदर यात्रा की हो। उसे गर्दन में सूजन, बुखार, सिरदर्द, शरीर दर्द, कमजोरी महसूस होती हो और शरीर में लाल दाने निकले हों। संक्रमित व्यक्ति या संदिग्ध मरीज के संपर्क में आने वाले लोग भी जोखिम वाले लोगों में आएंगे। मंकीपाक्स के मामले की पुष्टि प्रयोगशाला में जांच के बाद ही की जाएगी।
संपर्क में आए लोगों पर 21 दिन तक नजर मरीज के प्रत्यक्ष या परोक्ष संपर्क में आए व्यक्ति की 21 दिनों तक निगरानी की जाएगी। ऐसे या बिना लक्षण वाले व्यक्ति को रक्तदान, अंगदान या ऐसा कुछ काम नहीं करना चाहिए जिससे दूसरे व्यक्ति के संक्रमित होने का खतरा हो। छोटे बच्चों को डे केयर, नर्सरी या उस जगह पर नहीं रखने की सलाह दी गई है जहां ज्यादा बच्चे रहते हों।
बातचीत में पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआइवी) की वरिष्ठ विज्ञानी डा़ प्रज्ञा यादव ने कहा कि आइसीएमआर के वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैबोरेटरीज (वीआरडीएल) में बुधवार सुबह तक मंकीपाक्स के 100 नमूनों की जांच की गई। मंकीपाक्स के नमूनों की जांच के लिए देशभर में 15 प्रयोगशालाओं में व्यवस्था की गई है। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि मंकीपाक्स के वायरस को अलग कर लिया गया है। स्वदेशी वैक्सीन बनाने के लिए इस पर और शोध किया जा रहा है।