उत्तराखंड

धार्मिक स्थलों एवं यात्रा मार्गो से सिंगल यूज प्लास्टिक होगा पूरी तरह खत्म

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रुद्रप्रयाग। जिला प्रशासन की पहल पर जनपद के प्रमुख धार्मिक स्थलों एवं यात्रा मार्गो को सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त करने की पहल शुरू हो गई है। अभी तक छह महीने के भीतर 26 हजार प्लास्टिक बोतलें इकट्ठा की गई हैं। आगामी यात्रा सीजन में और तेजी से इस अभियान को किया जाएगा। जनपद में केदारनाथ, चोपता-तुंगनाथ, देवरियाताल सहित कई धार्मिक एवं पर्यटक स्थलों पर हर साल लाखों पर्यटक पहुंचते हैं। इस वर्ष अकेले केदारनाथ में करीब 16 लाख श्रद्घालुओें ने दर्शन किए हैं। ऐसे में प्लास्टिक कचरे का निस्तारण एक बड़ी चुनौती था, किंतु जिला प्रशासन ने अथक प्रयासों से इस समस्या को कम करने का एक बड़ा हल निकाल कर जिले में क्यूआर कोड प्रणाली शुरु की है। जिससे यात्रा मार्गो पर बिकने वाली प्लास्टिक की बोतलों पर एक क्यूआर कोड चस्पा कर बोतलों की टैगिंग की जा रही है। हर क्यूआर कोड लगी बोतल पर बिक्री के समय 10 रुपये अतिरिक्त वसूले जाते हैं, वहीं प्रत्येक बोतल वापस जमा करने वाले को 10 रुपये कमाने का मौका दिया जा रहा है। जिलाधिकारी मूयर दीक्षित ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक पूरी तहर से बैन किया जा चुका है, ऐसे में यात्रा मार्ग पर लाखों श्रद्घालुओं द्वारा पानी की बोतलों, कोल्ड ड्रिंक सहित अन्य प्लास्टिक का सामान इस्तेमाल करने के बाद उसका उचित निस्तारण बड़ी चुनौती है। रिसायकल संस्था के साथ मिलकर पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर केदारनाथ यात्रा मार्ग एवं दूसरे चरण में चोपता-तुंगनाथ और देवरियाताल मार्ग पर क्यूआर कोड व्यवस्था को लागू किया गया। इस वर्ष पानी की बोतलों पर क्यूआर लगाने से प्रोजेक्ट शुरु हुआ था जबकि बाद में कोल्ड ड्रिंक की बोतलों पर भी इसे लागू किया गया। आगामी यात्राओं में योजना को बड़े पैमाने पर लागू कर सभी प्रकार के प्लास्टिक कचरे को निस्तारित करने के लिए इस्तेमाल करने पर विचार किया जाएगा। इधर, रिसायकल संस्था के संस्थापक अभयदेश पांडेय ने बताया कि जिलाधिकारी ने बताया कि 6 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खुलने पर रिसायकल संस्था ने जिला प्रशासन के निर्देशन में अभियान की शुरूआत की। उनकी संस्था ने देश में पहली बार यह सिस्टम रुद्रप्रयाग जिले में लागू किया है।

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