कोटद्वार-पौड़ी

सिस्टम की बेरूखी काश्तकार पर पड़ रही भारी

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सिंचाई गूल क्षतिग्रस्त, काश्तकार को सता रही फसल बुआई की चिंता
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। सिस्टम की बेरुखी काश्तकारों पर भारी पड़ रही है। गेहूं, जौ, सरसो, मटर की फसल की बुआई का दौर शुरू हो चुका है, लेकिन कोटद्वार भाबर में जगह-जगह नहरें क्षतिग्रसत है। जिससे काश्तकारों को फसल की सिंचाई की चिंता सता रही है। भाबर में धान, गेहूं सहित अन्य फसलों की सिंचाई नहरों के पानी से की जाती है, लेकिन वर्तमान में सिंचाई के अभाव में आधे से अधिक कृषि भूमि बंजर पड़ी हुई है। इससे काश्तकारों का रुझान भी खेती-बाड़ी की तरफ घटने लगा है। झण्डीचौड़ के काश्तकारों ने सिंचाई विभाग से जल्द से जल्द सिंचाई नहर की मरम्मत कराने की मांग की है।
पार्षद सुखपाल शाह ने कहा कि वार्ड नंबर 37 पश्चिमी झण्डीचौड़ में भारी बरसात से सिंचाई गूल जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गई है। सिंचाई गूल पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। जिससे काश्तकार फसल की सिंचाई नहीं कर पा रहे है। क्षेत्र के किसान खेती-बाड़ी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते है, लेकिन वर्तमान में सिंचाई के अभाव में वह खेती नहीं कर पा रहे है। ऐसे में अधिकांश कृषि योग्य भूमि बंजर हो रही है। उन्होंने कहा कि एक ओर तो सरकार किसानों की आय दोगुना करने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर किसानों को सिंचाई का पानी भी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। इस संबंध में कई बार शासन-प्रशासन को अवगत कराया गया है, लेकिन इसके बावजूद भी जिम्मेदार इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं है। गेहूं सहित अन्य फसलों की बुवाई शुरू होने वाली है, लेकिन सिंचाई के अभाव में किसान बुवाई शुरू कैसे करेगें यह समझ नहीं आ रहा है। पार्षद ने कहा कि नगर निगम बनने के बाद किसानों को काफी नुकसान हो रहा है, क्योंकि कई सालों से ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के लिए कोई गूल निर्माण नहीं हुआ है एक और जहां हमारे प्रधानमंत्री किसानों की आय दुगनी करने को हर समय दिशा निर्देश देते रहते हैं, वहीं क्षेत्र में किसानों के लिए सिंचाई नहरों का निर्माण नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि पहले नाबार्ड से सिंचाई विभाग से लघु सिंचाई विभाग जलागम से सिंचाई गुल का निर्माण होता रहता था, लेकिन अब निगम बनने के कारण यहां पर सिंचाई गूल का निर्माण बंद हो चुका है। उन्होंने प्रशासन से जल्द ही क्षतिग्रस्त सिंचाई गूलों की मरम्मत कराने की मांग की है। ताकि किसान समय से फसल की बुवाई कर सके।

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