महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष मामले में बहस पूरी, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया सुरक्षित
नई दिल्ली, एजेंसी। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच सत्ता पर अधिकार को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सभी पक्षों की बहस पूरी हो गई और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष नौ दिन चली बहस चली। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद गुरुवार को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं जिनमें महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच सत्ता पर कानूनी हक जताया गया है। पहली याचिका एकनाथ शिंदे और शिवसेना के 15 अन्य बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में उस समय दाखिल की थी जब राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे थे और एकनाथ शिंदे गुट बागी हो गया था जिस पर तत्कालीन डिप्टी स्पीकर ने उन सभी को अयोग्यता नोटिस जारी किया था।
एकनाथ शिंदे गुट ने डिप्टी स्पीकर के अयोग्यता नोटिस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि डिप्टी स्पीकर के खिलाफ उन्होंने हटाने का नोटिस दे रखा है और नबम रेबिया केस में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा दिये गए फैसले के मुताबिक अगर स्पीकर के खिलाफ रिमूवल का नोटिस लंबित होता है तो उस दौरान स्पीकर सदस्यों की अयोग्यता के मुद्दे पर फैसला नहीं कर सकते।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से सदन में बहुमत साबित करने को कहा लेकिन बहुमत साबित करने से पहले ही ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया। राज्यपाल ने एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया और उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। उद्धव ठाकरे गुट ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एक के बाद एक कई याचिकाएं दाखिल कीं जिसमें एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने और मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाए जाने को भी चुनौती दी गई है।
उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि पहले एकनाथ शिंदे और अन्य विधायकों के लंबित अयोग्यता मामलों को तय किया जाना चाहिए और वह भी उन्हीं पहले वाले डिप्टी स्पीकर को फैसला करने दिया जाए। यानी सबकुछ उसी जगह से शुरू हो जहां से मुकदमेबाजी शुरू हुई थी। इस बीच चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे की असली शिवसेना होने के दावे वाली याचिका स्वीकार करते हुए शिंदे गुट को असली शिवसेना घोषित कर दिया और शिवसेना का चुनाव चिन्ह तीर कमान प्रयोग करने की इजाजत दे दी। चुनाव आयोग के इस आदेश को भी उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है हालांकि वह मामला इस मामले से अलग है और अभी कोर्ट में विस्तृत सुनवाई के लिए लंबित है।